Wednesday, January 23, 2019

मुग्धा:एक बहती नदी (ग्याहरवीं क़िस्त)


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(अंतराल ज़्यादा हो जाने के लिए पाठकों से क्षमा याचना सहित अबतक का सार संक्षेप :
मुग्धा कॉलेज के रीयूनियन में अपने बचपन के दोस्त राजुल से मिलती है और उसके कुंठित व्यक्तित्व के बारे में अपने पति अखिल जो एक मनोचिक्तिसक है ,से चर्चा करती है ,इतेफाक से दोनो मॉल में राजुल और उसके बेटे सोनू से टकरा जाते हैं , अब आगे ....)

(ग्याहरवीं  क़िस्त )

अखिल और राजुल काफी देर बातें करते रहे ,अखिल का तो पेशा ही था परेशान लोगों की मनोव्यथा सुनना और उससे बात करने में स्वतः ही लोग खुलते चले जाते थे ..मुग्धा को भी आश्चर्य हो रहा था कि  इतना अकड़फूँ राजुल कैसे अपने पारिवारिक जीवन का कच्चा चिठ्ठा खोल रहा है ...लेकिन अखिल को बताते हुए भी राजुल के वक्तव्य मधु की कमियों को ही बखान रहे थे और वह जैसे शोषित हो मधु द्वारा ...एक बेचारगी का भाव और उन सब विसंगतियों से पलायन करना मानों उसका अचीवमेंट हो ..

अचानक राजुल ने घडी देखी  और बोला-“अरे 4 बज गया ,आपके साथ समय का पता ही नहीं चला ,अब हमें चलना होगा सोनू को घर छोड़ने के बाद मुझे ६ बजे एक आर्डर के सिलसिले में मीटिंग के लिए जाना है “

अखिल ने भी उठते हुए हाथ बढाया और कहा – ओके राजुल ,बहुत अच्छा लगा आपसे और सोनू से मिल कर ,कभी मधु को ले कर घर आइये ...बहुत ख़ुशी होगी उनसे मिल कर..

राजुल ने सोनू का हाथ पकड़ते हुए हल्का सा सर हिलाया और मुस्कुरा कर विदा ली..अखिल ने सोनू को गाल पे थपथपा के प्यार करते हए कहा –बहुत ध्यान रखना अपना बच्चे .....

मुग्धा और अखिल को निर्निमेष देखता हुआ सोनू राजुल के साथ चल पड़ा...

मुग्धा और अखिल ने एक दुसरे को देखा ..जहाँ मुग्धा की आँखों में कई प्रश्न डोल  रहे थे वहीँ अखिल एक गहरी साँस ले कर बोला –God,Please help the child...!!

मुग्धा ने पूछा –“क्या हुआ अखिल ?”

अखिल बोला चलो घर चल के बात करते हैं ....और दोनों शौपिंग बैग्स  उठा कर कार की तरफ बढ़ लिए ,पूरे रास्ते न अखिल कुछ बोला न मुग्धा ...दोनों अपनी अपनी सोचों में आज के घटना क्रम का आकलन और विश्लेषण कर रहे थे..

घर आते ही अखिल बोला –“यार एक कप चाय चाहिए ...”

मुग्धा जानती थी की इस समय अखिल को उसी के हाथ की बनी चाय की ज़रुरत है ..वो खुद जा कर दो कप चाय बना कर लायी और अखिल के सामने आ कर बैठ गयी... अखिल अपने दायें हाथ की ऊँगली और अंगूठे से अपनी दोनों आँखें बंद किये सोच में डूबा था ...मुग्धा ने पूछा –क्या हुआ अखिल ,तुम विचलित से क्यूँ लग रहे हो ?

अखिल बोला –“यार ,उस बच्चे से न जाने क्यूँ अचानक एक लगाव हो गया है ...वो बहुत टेंशन में है स्ट्रेस्ड है..न जाने क्या चल रहा है उसकी लाइफ में ..उसी के बारे में सोच रहा था “

मुग्धा बोली- स्ट्रेस्ड  है !!..कैसे लगा तुम्हें ...?

अखिल ने कहा –“तुमने उसकी कलाइयों पर कट्स और प्रिकिंग के निशान देखे थे न ...बच्चे अपने स्ट्रेस को दबाने के लिए खुद को हर्ट करते हैं , इंटेंश्न्ली खुद को काटते हैं ब्लेड से या कंपास की नोक  चुभोते हैं , ऐसा करने से उनको जो दर्द होता है उसमें वो कुछ देर के लिए ही सही अपना स्ट्रेस भूल जाते हैं लेकिन धीरे धीरे डिप्रेशन की स्टेज पर पहुँचने लगते हैं .क्लीनिकली इसे “ non-suicidal deliberate self harm “ कहा जाता है ..आजकल ऐसे केसेस बहुत बढ़ गए हैं हम जैसे डॉक्टर्स के पास .अगर timely इसको डील नहीं किया जाता तो ये सुसाइड तक भी पहुंचा सकता है बच्चों को ..

मुग्धा सन्न बैठी सुन रही थी –“ ओह माय गॉड !!! तो वो निशान  इसलिए थे और सोनू इसीलिए फुल स्लीव्स पहने रहता है की किसी को पता न चलें..

“हाँ “,अखिल आगे बोला –“आजकल बच्चे कई तरह के स्ट्रेस से घिरे हैं .पढाई का स्ट्रेस ,करियर का स्ट्रेस, अकेलेपन का स्ट्रेस,माँ बाप के रिश्तों में खटास का असर जैसा कि सोनू के मामले में मुझे रूट कॉज दिख रहा है “

मुग्धा बोली- हाँ अखिल ! राजुल और मधु के संबंधों का असर इस मासूम पर पड़ रहा है ...

अखिल ने कहा –मुग्धा ! हमें इस बच्चे की मदद करनी चाहिए ... तुम राजुल की पुरानी  दोस्त हो ...थोडा ज्यादा अपनाइयत  दिखा कर उसके  पारिवारिक जीवन में घुसो और असलियत को जानने  की कोशिश करो ..जितना आज की बातों से राजुल को समझा हूँ वो सीधी  बात समझने वाला जीव नहीं है ,उसके आपने पूर्वाग्रह हैं ..उसे यदि सोनू के लिए हम अपना क्लिनिकल diganosis बताएँगे तो उखड़ जाएगा ,सोनू की भलाई के लिए हमें बहुत धैर्य और स्ट्रेटेजी से आगे बढ़ना होगा ..

मुग्धा बोली- बिलकुल अखिल ,मैं तैयार हूँ ..बहुत ही प्यारा बच्चा है ..और शायद हमसे टकराया भी इसीलिए कि ईश्वर चाहते हैं कि हम उसकी मदद करें ...

अखिल ने हँसते हुए  कहा – हाँ तुम्हारे ईश्वर ने तो पूरा प्रोग्राम फिक्स किया हुआ है ...चलो अब थोडा टहल आते हैं...तब से मन भारी था ..तुमसे बात करके अब हल्का लग रहा है ..अमूमन हम डॉक्टर्स इमोशनल नहीं माने जाते और हम रख  भी लेते हैं दूसरों  के इमोशंस  से खुद को अलग थलग लेकिन सोनू से कुछ लगाव हो गया था..

मुग्धा मुस्कुरा दी ..बोली हो जाता है ... चलो टहल आते हैं ....

उधर सोनू और राजुल भी अखिल और मुग्धा से हुई मुलाकात के असर से अछूते नहीं थे..दोनों अपनी अपनी मनस्थिति के अनुसार उन पलों को जी रहे थे जब वे उन दोनों के साथ थे ..
सोनू को अखिल का सुरक्षित आगोश याद आ रहा था तो वहीँ राजुल के ऊपर इस मुलाकात की मिक्स प्रतिक्रिया थी ,एक तरफ वह  अखिल के खुले व्यवहार के समक्ष खुद को कुंठित महसूस कर रहा था दूसरी तरफ अखिल के सामने खुद को खोल कर हल्का भी महसूस कर रहा था ...कुछ इर्ष्या भी थी मुग्धा के प्रति और खुद के प्रति ग्लानि भी ..

राजुल और सोनू ने इन्हीं भावनाओं से गुज़रते हुए घर में प्रवेश किया तो मधु ने तुरंत ही सवालों की बौछार शुरू कर दी ...” कहाँ थे इतनी देर... कब के निकले हो ...मेरी किसी को चिंता नहीं...”
राजुल उस समय अपनी ही सोचों में डूबा बिना कोई जवाब दिए बाथरूम में घुस गया ,सोनू दौड़ के मम्मी से लिपट गया और बोला ,” मम्मा ,आज पापा मुझे मॉल ले के गए थे और पता है वहां एक आंटी और अंकल मिले ..बहुत अच्छे थे दोनों ...आंटी ने मुझे बहुत प्यार किया और अंकल ने मुझे बहुत सारी चीज़ें खिलाई ...

मधु बोली –“कौन थे ये आंटी अंकल ?”

सोनू ने कहा –“ मालूम नहीं ,लेकिन आंटी पापा को जानती थी पहले से ..अंकल आज ही मिले...

इतने में राजुल बाथरूम से गुनगुनाता हुआ बाहर निकला तो मधु की त्योरियां चढ़ गयी ...एक दम चंडी का रूप ले कर वो कमर पे हाथ रख कर सीधे राजुल के सामने जा खड़ी  हुई –“ कौन सी माशूका मिल गयी आज तुमको ?”

राजुल अचकचा गया बोला –“ क्या बकवास कर रही हो ?”

मधु बोली –सोनू ने मुझे सब बता दिया है ...इतने खुश तो कभी नज़र नहीं आते ..आज कोई पुरानी  प्रेमिका से मुलाकात हो गयी ..जनाब की बांछें खिली हुई हैं ...इसीलिए मुझे छोड़ के गए थे ..सब जानती हूँ मैं ...” कहते कहते मधु ने रोना शुरू कर दिया ..अनवरत प्रलाप जारी था उसका –“ मेरी तो ज़िन्दगी ही ख़राब हो गयी ...न जाने किस घडी में इस आदमी से शादी के लिए हाँ कह दिया था ....”

राजुल पहले तो भौंचक्का सा देखता रहा फिर उसका चेहरा तमतमा गया ...बोला “दिमाग ख़राब है तुम्हारा और मेरा भी किये रहती हो हर समय ...एक पल का चैन नहीं इस घर में” ....कहता हुआ धडाम से दरवाजा बंद करते हुए घर से बाहर निकल गया...

सहमा हुआ सोनू एक तरफ खड़ा हुआ सारा नज़ारा देख रहा था ..मधु वहीँ सोफे पे बैठ के जोर जोर से रोते हुए बोले जा रही थी -' मैं तो पहले से ही जानती थी ..कहीं कोई चक्कर चल रहा है तुम्हारा ..इसीलिए इसी फिराक में हो कि कब मुझसे पीछा छूटे ..वो तो मैं एलर्ट रहती हूँ  वरना अब तक तो जान से मार डालते मुझको .."

और सोनू अपने कमरे में जा के औंधे मुंह बिस्तर पर पड़ गया ... आये दिन घटने वाले ये दृश्य उसके लिए नए नहीं थे ..उसे समझ नहीं आता था कि माँ जो सबसे ठीक तरह से बात करती है पापा के सामने ही एकदम बदल कैसे जाती है...
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क्रमश:

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