Friday, August 7, 2009

jamalo ka dhandha ..kabhi na manda ..

नाम तो उनका जमीला रखा था उनके वालिदैन ने पर मोहल्ले भर में वो फजीहत बी के नाम से मशहूर थीं.इस नामकरण के पीछे भी एक पूरा इतिहास है.२० वर्ष हो गए जब जमीला उर्फ़ जमालो निकाह करके किराने वाले जुम्मन मियां कि शरीके हयात बन के इस मोहल्ले में आयीं थीं .इत्र फुलेल लगाये जुम्मन मियां अकड़ अकड़ के चलते हुए अपनी बेगम के साथ जब दाखिल हुए गली में तो सारे मोहल्ले में हाहाकार मच गया ..कमसिन खूबसूरत जमीला खातूनों के रश्क का और हज़रात के इश्क का सबब बन गयी.दबी दबी आवाज़ में सरगोशियाँ शुरू हो गयी ..सुना है मैट्रिक पास है ..बहुत सलीका और शउर है दुनिया का ...किस्मत खुल गयी जुम्मन मियां कि तो... जुम्मन मियां सातवें आसमान पर ..उनकी शाम कि लगने वाली बैठकें ख़त्म हो गयी दुकान से भागने कि जल्दी रहती मियां को ..जलेबी खस्ता के दोने उठाये घर में घुसते और उसके बाद दोनों कबूतरों कि गुटरगूं सुनने को कई शोहदे कान लगाये पाए जाते उनके दरवाजे पर ...किराने कि दुकान पे नौकरों ने हाथ साफ़ करना शुरू किया तब जुम्मन मियां कि गफलत टूटी..और वापस पहुँच गए जुल्फों कि छाँव से निकल कर नून तेल लकडी के जुगाड़ में ..उधर जमालो ने भी एकआम खातून कि ज़िन्दगी में कदम रखा ..चूल्हा चौका आस पड़ोस ...जो उन्हें ज्यादा दिन रास न आया..इस दिन के लिए मैट्रिक कि पढाई थोड़े न कि थी ..एक दिन जुम्मन मियां के अच्छे मिजाज देख के उन्होंने अपना इरादा उनके सामने रखा -" मियां .हम दिन भर खाली रहते हैं घर में ..सोच रहे हैं कि आमदनी में कुछ इजाफा किया जाए "..मियां का मुंह खुला का खुला ..सुभानअल्लाह ..जे बात तो आजतक मोहल्ले की किसी भी बीबी ने न सोची होगी. मियां तो सौ सौ जान निछावर हो गए अपनी इस खूबसूरत और intelligent बेगम पर ..--" बताइए बेगम आपने क्या सोचा है.. ??".बेगम ने कहा बस आप हमें ५०० रु दीजिये.. और हम आपको उन्हें बढ़ा के ही वापस करेंगे.. जुम्मन मियां ने ख़ुशी से झूमते हुए ५०० रु निकाल के बेगम की नज़र किये buisness establishment के लिए .......

अगले दिन के अखबार में एक इश्तिहार छपा..
''अब आप भी बन सकते हैं मिस्टर इंडिया. ..आखिर हमने इजाद कर ही दिया वो product जिसे पहन कर आप तो सारी दुनिया को देख पायेंगे पर आपको कोई नहीं देख पायेगा ..तो देर न करें first come first serve के आधार पर प्रोडक्ट दिया जाएगा तुंरत फ़ोन करें xxxxxxxxxx is नंबर पर ..प्रोडक्ट की cost २००० रु और post & handeling का खर्चा अलग .प्रोडक्ट आपको VPP से भेजा जाएगा पैसे चुका के डिलिवरी लें और उसके बाद हो जाइए इस दुनिया की नज़रों से ओझल ....."....

खलबली मच गयी साहब पूरे शहर में ..चोर, आशिक, खाविंद ,किरायेदार सभी इस प्रोडक्ट के फायदे अपने अपने हिसाब से लगाने लगे ..और हमारे मुल्ला जी तो ठहरे हरफनमौला ..उनको तो इसमें अपनी ज़िन्दगी बचती नज़र आने लगी..मकानमालिक से डर कर घर में पलंग के नीचे नहीं छिपना पड़ेगा ..बाजार में लेनदारों के सामने से सीना तान के निकाल जाऊंगा ..कम्बखत देख भी न पायेंगे मुझे.. गुदगुदी सी होने लगी मुल्ला के दिल में.. और घर का छोटा मोटा सामान तो यूँही आ जायेगा अब..कितनी बार लाला ने पकड लिया मुझे तेल साबुन उठाते हुए.. भाई वाह ..जिसने भी इजाद किया है ये प्रोडक्ट.. जी चाहता है हाथ चूम लूँ उसके ..दिल खुश कर दिया ..पर ..ये २००० रु कहाँ से लाऊंगा??...दिमाग के घोडे दौडाए... अरे ... ये अपने प्रॉफेसर साहब कब काम आयेंगे ( वैसे जबसे उनका परिचय पत्र बनाया है कुछ उखड़े उखड़े से हैं ..... अमाँ यार इन छोटे छोटे सचों से कोई इतनी पुरानी दोस्ती टूटती है भला .. मेरा यार है विनेश ..मना तो कर ही नहीं सकता ).... तो साहब इन self dialogues के बाद मुल्ला जी पहुँच गए हमारे मास्टरजी के घर अपनी सबसे बढ़िया अचकन पहन कर ..विनेश जी के sixth sense ने उन्हें चौकन्ना किया ..एक तो वैसे ही उनकी सच्चाई उगल देने के कारण मुल्ला जी उनकी ब्लैक लिस्ट में शुमार हो चुके थे ऊपर से उनके घर पधारना... दाल में कुछ.. अरे नहीं पूरी दाल ही काली है ... फोर्मल hi hello का आदान प्रदान हुआ.. मुल्ला जी ने एक एक करके घर में सबकी तबियत पूछी ...विनेश जी..अन्दर ही अन्दर .. मुल्ला !!!! come to the point ..उवाच रहे थे ....ultimately मुल्ला जी ने कहा ..यार विनेश क्या बताऊँ पिछले हफ्ते तुम्हारी भाभी ने..मुझे मेरी १८वी माशूका के साथ पार्क में देख लिया..तुम समझ सकते हो क्या गत बनायीं होगी मेरी

विनेश जी ने चेहरे पर हमदर्दी के भावः लाने की कोशिश की ..मुल्ला जी बेचारगी से बोले यार वो मिस्टर इंडिया वाला प्रोडक्ट लॉन्च हो रहा है मार्केट में फर्स्ट come फर्स्ट serve basis पर ..पर पैसो का जुगाड़ नहीं हो रहा ..विनेश जी की टिमटिमाती ट्यूब लाइट भक्क से जल उठी ओहो तो ये माजरा है ..विनेश जी ने कहा ...-----यार मुल्ला ..पैसे तो मैं तुम्हें दे देता पर आजकल मेरा भी हाथ थोडा तंग चल रहा है ..कालिज वाले पेमेंट नहीं कर रहे और tours के सारे खर्चे भी मुझे अपनी जेब से देने पड़ रहे हैं ( spontaneous झूठ ..जिसमें उन्हें महारत हासिल है.. ) ... मुल्ला दीन बन गए..पैरों पे गिरने को तैयार ..बड़ी मुश्किल से विनेश जी ने उन्हें संभाला.. और मुल्ला जी की दीनता देख हमारे कोमल ह्रदय प्रॉफेसर ज्यादा देर तक टिक न सके अपनी बात पे.. १००० रु ला कर रख दिए मुल्ला के हाथ में और कहा की मेरे भाई इसी से काम चलाओ अभी ..मुल्ला गदगद हो उठे ..गले से लगा लिया विनेश जी को..और कहा यार जब भी तुझे अदृश्य होने की ज़रुरत हो..मांग लेना मुझसे वो प्रोडक्ट.. ( हर किसी को ज़रुरत पड़ती है कभी अदृश्य होने की ) ... और मुल्ला जी ख़ुशी ख़ुशी घर वापस आ गए ..बाकी के १००० रु उन्होंने बाज़ार से उधार उठाये ये सोच कर कि एक बार अदृश्य हो जाऊंगा तो कौन कर पायेगा वसूली मुझसे ........
और साहब मुल्ला जी ने फुनवा गुमाई दिया .....
फ़ोन पर सुरीली आवाज़ सुनते ही मुल्ला जी तो गश खाते खाते बचे
हमारी जमालो बी बड़ी नफ़ासत से पूछ रही थी -----कहिये क्या खिदमत कर सकते हैं हम आपकी ?
मुल्ला ----ज्ज्ज्ज्ज्जीईईईईइ...व्व्व्व्व्व्व्ब् ब्ब्ब्ब.. ईई श्श्श तितिती हार .....
जमालो ----जी हाँ कहिये वो मिस्टर इंडिया वाला?
मुल्ला -----जी हाँ जी हाँ .... !!
जमालो----- बताइए कहाँ भिजवाना है?

और मुल्ला जी ने फटाफट अपना पता लिखाया ..और जमालो ने एक मीठे शुक्रिया के साथ फ़ोन रख दिया.. मुल्ला तो बहुत देर फ़ोन के चोगे से ही मिठास का अनुभव करते रहे ...

अब मुल्ला जी रोज़ डाकखाने के चक्कर लगाते ..कि कहीं डाकिया आके बेगम को प्रोडक्ट न पकडा जाए ..चौथे दिन मुल्ला जी का इन्तेज़ार ख़तम हुआ ..एक VPP पार्सल डाकखाने में आया था उनके नाम से...मुल्ला जी ने रु २११५(मय डाकखर्च) चुकाए और लपकते क़दमों से पैकेट को सीने से लगाये घर में दाखिल हुए.. चोर नज़रों से देखा कि बेगम ने उन्हें देखा तो नहीं.. और झट से अपना कमरा बंद करके बेसब्री से पैकेट खोलने लगे ..दिल कि धड़कने बढ़ी हुई थी ..आँखें तरस रही थी प्रोडक्ट के दीदार को ..और जैसे ही उपरी पैकिंग उतार के मुल्ला ने डब्बा खोला ...उनकी चीख निकल गयी.. और वे बेहोश हो कर ज़मीन पर गिर पड़े....

आप जानना चाहेंगे कि पैकेट में क्या था......
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बुरका ...!!!!!!!!!! .........

अरे बाप रे ई का !!!!!! .... मुल्ला जी ..इतने ज़हीन होते हुए न सोच पाए कि भैया हमारी बेगम जब बाज़ार जाट हैं तो वो तो सभैय को देख पाती हैं ..पर उनको तो काउ न देख पायिब ... बुरका जो पहने रखती हैं.....

आखिर मिल ही गया न सेर को सवा सेर..मुल्ला जी को पहली दफा किसी ने चूना लगा दिया था ......

मुल्ला जी के होश में आने के बाद उनके reaction का हमें भी इंतज़ार है... विनेश जी के १००० रु तो गए ही समझो... अब विनेश जी कैसे वसूलेंगे मुल्ला से ये एक अलग कहानी होगी....

इंतज़ार कीजिये ऐसे और भी किस्सों का जिसके कारण हमारी जमालो बी.. फजीहत के नाम से मशहूर हुई ...तब तक के लिए विदा ...

1 comment:

  1. after reading this story was laughing too much....manviya svabhav ka aapn e achsa nirupan kiya hai......moher badlne wale logo ko koi na koi burkha pahna hi dega aise......!

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