Wednesday, May 25, 2011

मुल्ला जी का लाइन में लगना

अक्सर देखा गया है कि हम लोग जो भी देखते, सुनते ,पढ़ते हैं उसका अर्थ अपने ही विचारों के अनुसार लगा लेते हैं जैसा उस दिन हमारे मुल्ला जी के साथ हुआ ..

हुआ यूँ कि एक दिन विनेश जी ने देखा कि मुल्ला जी बस स्टेंड पर बस का टिकेट लेने के लिए लाइन में लगे हुए हैं ..विनेश जी चौंक गए कि ये अचानक से मुल्ला कहाँ जा रहा है !! गए लपकते हुए मुल्ला जी के पास और बोले - यार मुल्ला कहाँ की तैयारी है ?

मुल्ला जी बोले - अरे मास्टर ! अच्छा हुआ तू मिल गया, अभी मैं तेरे ही बारे में सोच रहा था कि कैसे खबर करूँ तुझे ...

विनेश जी बोले - क्या हुआ भाई ? ऐसी क्या ख़ास बात हो गयी ?

मुल्ला जी बोले - देखो ना ये हमारी सरकार ..हम जैसे लोगों के लिए कितनी सुविधाएं मुहैया कराती है ..अब तो हम जैसों के लिए बस टिकेट काउँटरस पर भी इंतजाम कर दिया है ..मैं बस तुझे ही याद कर रहा था ..चल आजा तू भी लग जा लाइन में ..

विनेश जी बोले - लेकिन यार लाइन में क्यूँ लगा है तू ..कहाँ जाना है तुझे ..?

मुल्ला जी बोले - जाने का तो पता नहीं ..जहाँ भेज दिया जाएगा चले जायेंगे अपन का क्या .. पर लाइन में तो लग ना तू ..

विनेश जी बड़े असमंजस में , बोले - मुझे कहीं नहीं जाना ..मैं क्यूँ लगूं लाइन में? और तू भी कैसी बहकी बहकी बातें कर रहा है ..अरे टिकेट लेने से पहले ये तो पता होना चाहिए कि कहाँ जाना है ...

मुल्ला जी बोले - अरे मास्टर ..बड़ा पढ़ा लिखा बनता है ..हर समय ज्ञान की बातें .. जरा आँखें खोल के पढ़ भी लिया कर कि कहाँ क्या लिखा है .. देख टिकेट विंडो के ऊपर क्या लिखा है ...

विनेश जी ने टिकेट विंडो पर देखा तो वहां दो बोर्ड लगे थे एक ही सीध में

" महिलाओं के लिए "..." कृपया लाइन में आयें "

और हमारे मुल्ला जी उसे एक साथ पढ़ गए थे ..:) :) :)

7 comments:

  1. वाह.. वाह.. वाह.. अब मुल्लाजी की शान में और कहें भी तो क्या ! आभार!

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  2. हा हा हा...
    वैसे हमारे इधर के संता की भी ऐसी ही कहानी थी... :)

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  3. बहुत सुन्दर व्यंग कथा| धन्यवाद|

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  4. क्या बात है, बहुत अच्छी कहानी

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