बिज़्नेस में मुल्ला से तगड़ा झटका खाने के बाद जमालो बी कुछ दिन तो गुमनामी में डूबी रही .पर बहुत दिन किसी शै पर मलाल करना उसकी फ़ितरत में ना था.दिमाग़ के घोड़े दौड़ाए.मुदिता जी और महक़ जी से मंत्रणा की ( पता नहीं विनेश जी ने कब देख लिया )..मंत्रणा का सार निकला कि कुछ ऐसा किया जाए कि हींग लगे ना फिटकरी और रंग चोखो ही चोखो….
मुदिता जी और महक़ जी के साथ मीटिंग के बाद ये डिसाइड हुआ कि एक ऐसा प्रोफेशन है जिसके मंदा होने का तो कोई चान्स ही नहीं है .लागत कुछ नहीं बस बातों के लच्छे ..जिसमें तो जमालो बी का कोई सानी नहीं ..और मुनाफ़ा क्लाइंट के स्टेटस के हिसाब से..वाह भाई वाह. मज़ा आ गया ..जमालो को अपना मनपसंद धंदा मिल गया करने को…
जब से पूरी दुनिया में पति पत्नी का अस्तित्व हुआ है तब से उनमें मतभेदों का भी अस्तित्व हुआ है..या यूँ कहें की दोनो अस्तित्व एक दूसरे के बिना पूर्ण नहीं हैं ..और अब उन मतभेदों के लिए advice लेना स्टेटस सिंबल में शामिल होता जा रहा है .जो जितनी ज़्यादा बार marriage counsellor के पास गया वो ज़्यादा रुतबे वाला.. पैसे वालों में होड़ सी लगी रहती है advisors के पास जाने की..तो साहिब जमालो बी ने भी यही धंदा चुना..
with the backup of the experience of Mudita ji and Mehaq ji...
आनन फानन में इश्तिहार छ्प गये “ज़िंदगी बनाइए ख़ुशगवार..अपने जीवनसाथी को ढालें अपने अनुसार..अपने ही घर में चूहे से शेर बनने के 1001 तरीके ..एक बार मिल तो लें ..(jamalo consultant ltd. ) “
हर शादीशुदा मर्द अपने को चूहा ही समझता है.. समझे ना भी पर दूसरों को बताने में शान समझता है की वो चूहा है..तो उसी भावना के तहत लाइन लग गयी जमालो बी के दफ़्तर के सामने .जमालो बी का ऑलरेडी जमालो लिमिटेड का office setup था ही.उस फ्रंट पर भी उनको कुछ खर्च नहीं करना पड़ा .AC office , फोन, फैक्स,कंप्यूटर सभी कुछ कायदे से install था तो फर्स्ट इंप्रेशन काफ़ी अच्छा था जमालो बी का .और उनकी प्रॅक्टिकल इंटेलिजेन्स काफ़ी थी दुनिया को राह दिखाने के लिए .एक फॉर्म भरना होता था जिसमें आवेदक को अपना नाम ,उम्र ,पता ,जेंडर और आय का ब्योरा देना होता था और आगे का agenda जमालो उसी के बेसिस पर तैयार करती थी..
तो साहिब धंदा चल निकला.मशहूरियत मुल्ला के कानो तक भी पहुँची ..मुल्ला वैसे तो जमालो से खार खाए बैठे थे पर अब जमालो को मूंडने के बाद उनके कलेजे को ठंडक मिल गयी थी और जैसे अमीरों के घर में मतभेदों का चलन ज़्यादा है वैसे ही मुल्ला भी अब ब्रेकप वाले मोड में पहुँच रहे थे ..तो मुल्ला जी ने सोचा की जमालो से अड्वाइज़ लेने में तो कोई हरजा ना है.. पसंद आएगी तो सुनेंगे वरना जैसी खुदा की मर्ज़ी..
मुल्ला विनेश जी को बिना बताए अपायंटमेंट फिक्स करवा आए जमालो बी से….(विनेश क्या जाने वैवाहिक जीवन की दुश्वारियां … commited person (ऐसा प्रोफाइल में लिखा है )..जाके पैर ना फटी बिवाई वा का जाने पीर परायी )..इसलिए इस बात का रिस्क मुल्ला जी ने खुद ही उठाना उचित समझा …मुल्ला जी का appointment फिक्स हो गया.1000 रु registration fee और advice के 500 रु अलग .और फिर मुल्ला के अपायंटमेंट का दिन आ आ गया..जमालो बी को मौका हाथ लगा अपनी कुछ रकम वापस उगहाने का …
जमालो ने शरबत पीला कर मुल्ला जी का स्वागत किया..
और मीठी आवाज़ में पूछा
जमालो-बताइए साहिब क्या परेशानी है आपको ?
मुल्ला- अरे बीबी.. एक हो तो बतायें,यहाँ तो सारे दिन की किच किच .हम तो पनाह माँग गये .
जमालो-बतायें भी..!
मुल्ला-हुमारी बेगम ने हमारा सोना -जागना , उठना - बैठना ,खाना -पीना ..अब कहाँ तक बतायें समझ लीजिए सब कुछ दूभर कर रखा है..ऐसे हँसो ऐसे बोलो.. ऐसे खाओ ऐसे सो...लाहौल बिला कूवत ..जैसे हुमारी कोई आइडेंटिटी ही नहीं है…
जमालो--ह्म्म्म्मम( गहन सोच की मुद्रा में)… ये तो मसला काफ़ी गंभीर हो गया है.. आइडेंटिटी क्राइसिस..मुल्ला जी i m sorry ( एक कुशल चिकित्सक की तरह चेहरे पर बेचारगी के भावः लाते हुए ) आपने काफ़ी देर कर दी.. अब दवा का नहीं.. .. i mean अब advice से नहीं product से काम लेना होगा ..
मुल्ला –कौन सा प्रॉडक्ट?
जमालो-अरे बड़ा useful प्रॉडक्ट है.हुमारी कंपनी ने पेटेंट करवा लिया है.. वो अपनी मुदिता जी और अतुल जी को जानते हैं आप?
मुल्ला –जी हाँ जी हाँ.!! बड़े खुशमिजाज मियाँ बीवी हैं.. दिल खुश हो जाता है उनकी जोड़ी देख कर …जैसे एक दूसरे के लिए बने हों ..
जमालो- बस ..इसी प्रॉडक्ट के कारण तो.. आप भी बन सकते हैं बिल्कुल वैसे..!!
मुल्ला जी की तो बांछे खिल गयी..इस प्रॉडक्ट को तो use करना चाहिए
मुल्ला-लेकिन कीमत??
जमालो—अरे मुल्ला जी अब शादीशुदा ज़िंदगी की खुशियों की कोई भी कीमत कम ही है..पर आपकी पुरानी ग्राहकी का ध्यान करते हुए सिर्फ़ आपके लिए 50% डिसकाउंट पर 5000 रु ..
मुल्ला –5000/-…( चक्कर सा आ गया मुल्ला को ..)
जमालो—अरे सोच लो मुल्ला..मुदिता जी और अतुल जी तो independently एक एक प्रॉडक्ट USE कर रहे हैं पिछले 10 साल से.. और अब सुना है महक़ जी भी उसके गुणों से प्रभावित हो कर उसे लेना चाहती है..
मुल्ला—चलिए दे दीजिए एक ..और इस्तेमाल का तरीका भी समझा दीजिएगा
जमालो-ज़रूर ज़रूर..!
कह के घंटी पर हाथ मार कर peon को बुलाती हैं और एक "खुशियाँ पाओ "प्रॉडक्ट को लाने का ऑर्डर देती है.. और एक 5500 की रसीद काट कर मुल्ला के हवाले करती है.. मुल्ला ज़ब्त-ए-दिल करके 5500 रु ( 5000 प्रॉडक्ट कॉस्ट+500 अड्वाइज़ कॉस्ट )..जमालो की नज़र करते हैं..और जमालो प्रॉडक्ट का पैक मुल्ला के हवाले करती हुई बताती हैं की user's guide में इस्तेमाल का तरीका तफ़सील से लिखा है..
मुल्ला खुशी खुशी घर आके पैकेट खोलते हैं तो उसमें से निकलते हैं..
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रबड़ के ear muffs ………………..या अल्लाह….
खैर मुल्ला उनको कानों में लगा के आराम से पेपर पढ़ रहे हैं और उनकी बेगम 6500 रुपये फूँक आने के एवज में अपनी संपूर्ण योग्यता के साथ उनकी सात पुश्तें तार रही हैं..
पर मुल्ला बहुत relaxed हैं.. और अख़बार पढ़ना बहुत enjoy कर रहे हैं… क्यूँ ना हो!!!!!!!!!!!!!
THE PRODUCT IS PROVEN BY ATUL JI AND MUDITA JI ...!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
Tuesday, August 18, 2009
Friday, August 7, 2009
jamalo ka dhandha ..kabhi na manda ..
नाम तो उनका जमीला रखा था उनके वालिदैन ने पर मोहल्ले भर में वो फजीहत बी के नाम से मशहूर थीं.इस नामकरण के पीछे भी एक पूरा इतिहास है.२० वर्ष हो गए जब जमीला उर्फ़ जमालो निकाह करके किराने वाले जुम्मन मियां कि शरीके हयात बन के इस मोहल्ले में आयीं थीं .इत्र फुलेल लगाये जुम्मन मियां अकड़ अकड़ के चलते हुए अपनी बेगम के साथ जब दाखिल हुए गली में तो सारे मोहल्ले में हाहाकार मच गया ..कमसिन खूबसूरत जमीला खातूनों के रश्क का और हज़रात के इश्क का सबब बन गयी.दबी दबी आवाज़ में सरगोशियाँ शुरू हो गयी ..सुना है मैट्रिक पास है ..बहुत सलीका और शउर है दुनिया का ...किस्मत खुल गयी जुम्मन मियां कि तो... जुम्मन मियां सातवें आसमान पर ..उनकी शाम कि लगने वाली बैठकें ख़त्म हो गयी दुकान से भागने कि जल्दी रहती मियां को ..जलेबी खस्ता के दोने उठाये घर में घुसते और उसके बाद दोनों कबूतरों कि गुटरगूं सुनने को कई शोहदे कान लगाये पाए जाते उनके दरवाजे पर ...किराने कि दुकान पे नौकरों ने हाथ साफ़ करना शुरू किया तब जुम्मन मियां कि गफलत टूटी..और वापस पहुँच गए जुल्फों कि छाँव से निकल कर नून तेल लकडी के जुगाड़ में ..उधर जमालो ने भी एकआम खातून कि ज़िन्दगी में कदम रखा ..चूल्हा चौका आस पड़ोस ...जो उन्हें ज्यादा दिन रास न आया..इस दिन के लिए मैट्रिक कि पढाई थोड़े न कि थी ..एक दिन जुम्मन मियां के अच्छे मिजाज देख के उन्होंने अपना इरादा उनके सामने रखा -" मियां .हम दिन भर खाली रहते हैं घर में ..सोच रहे हैं कि आमदनी में कुछ इजाफा किया जाए "..मियां का मुंह खुला का खुला ..सुभानअल्लाह ..जे बात तो आजतक मोहल्ले की किसी भी बीबी ने न सोची होगी. मियां तो सौ सौ जान निछावर हो गए अपनी इस खूबसूरत और intelligent बेगम पर ..--" बताइए बेगम आपने क्या सोचा है.. ??".बेगम ने कहा बस आप हमें ५०० रु दीजिये.. और हम आपको उन्हें बढ़ा के ही वापस करेंगे.. जुम्मन मियां ने ख़ुशी से झूमते हुए ५०० रु निकाल के बेगम की नज़र किये buisness establishment के लिए .......
अगले दिन के अखबार में एक इश्तिहार छपा..
''अब आप भी बन सकते हैं मिस्टर इंडिया. ..आखिर हमने इजाद कर ही दिया वो product जिसे पहन कर आप तो सारी दुनिया को देख पायेंगे पर आपको कोई नहीं देख पायेगा ..तो देर न करें first come first serve के आधार पर प्रोडक्ट दिया जाएगा तुंरत फ़ोन करें xxxxxxxxxx is नंबर पर ..प्रोडक्ट की cost २००० रु और post & handeling का खर्चा अलग .प्रोडक्ट आपको VPP से भेजा जाएगा पैसे चुका के डिलिवरी लें और उसके बाद हो जाइए इस दुनिया की नज़रों से ओझल ....."....
खलबली मच गयी साहब पूरे शहर में ..चोर, आशिक, खाविंद ,किरायेदार सभी इस प्रोडक्ट के फायदे अपने अपने हिसाब से लगाने लगे ..और हमारे मुल्ला जी तो ठहरे हरफनमौला ..उनको तो इसमें अपनी ज़िन्दगी बचती नज़र आने लगी..मकानमालिक से डर कर घर में पलंग के नीचे नहीं छिपना पड़ेगा ..बाजार में लेनदारों के सामने से सीना तान के निकाल जाऊंगा ..कम्बखत देख भी न पायेंगे मुझे.. गुदगुदी सी होने लगी मुल्ला के दिल में.. और घर का छोटा मोटा सामान तो यूँही आ जायेगा अब..कितनी बार लाला ने पकड लिया मुझे तेल साबुन उठाते हुए.. भाई वाह ..जिसने भी इजाद किया है ये प्रोडक्ट.. जी चाहता है हाथ चूम लूँ उसके ..दिल खुश कर दिया ..पर ..ये २००० रु कहाँ से लाऊंगा??...दिमाग के घोडे दौडाए... अरे ... ये अपने प्रॉफेसर साहब कब काम आयेंगे ( वैसे जबसे उनका परिचय पत्र बनाया है कुछ उखड़े उखड़े से हैं ..... अमाँ यार इन छोटे छोटे सचों से कोई इतनी पुरानी दोस्ती टूटती है भला .. मेरा यार है विनेश ..मना तो कर ही नहीं सकता ).... तो साहब इन self dialogues के बाद मुल्ला जी पहुँच गए हमारे मास्टरजी के घर अपनी सबसे बढ़िया अचकन पहन कर ..विनेश जी के sixth sense ने उन्हें चौकन्ना किया ..एक तो वैसे ही उनकी सच्चाई उगल देने के कारण मुल्ला जी उनकी ब्लैक लिस्ट में शुमार हो चुके थे ऊपर से उनके घर पधारना... दाल में कुछ.. अरे नहीं पूरी दाल ही काली है ... फोर्मल hi hello का आदान प्रदान हुआ.. मुल्ला जी ने एक एक करके घर में सबकी तबियत पूछी ...विनेश जी..अन्दर ही अन्दर .. मुल्ला !!!! come to the point ..उवाच रहे थे ....ultimately मुल्ला जी ने कहा ..यार विनेश क्या बताऊँ पिछले हफ्ते तुम्हारी भाभी ने..मुझे मेरी १८वी माशूका के साथ पार्क में देख लिया..तुम समझ सकते हो क्या गत बनायीं होगी मेरी
विनेश जी ने चेहरे पर हमदर्दी के भावः लाने की कोशिश की ..मुल्ला जी बेचारगी से बोले यार वो मिस्टर इंडिया वाला प्रोडक्ट लॉन्च हो रहा है मार्केट में फर्स्ट come फर्स्ट serve basis पर ..पर पैसो का जुगाड़ नहीं हो रहा ..विनेश जी की टिमटिमाती ट्यूब लाइट भक्क से जल उठी ओहो तो ये माजरा है ..विनेश जी ने कहा ...-----यार मुल्ला ..पैसे तो मैं तुम्हें दे देता पर आजकल मेरा भी हाथ थोडा तंग चल रहा है ..कालिज वाले पेमेंट नहीं कर रहे और tours के सारे खर्चे भी मुझे अपनी जेब से देने पड़ रहे हैं ( spontaneous झूठ ..जिसमें उन्हें महारत हासिल है.. ) ... मुल्ला दीन बन गए..पैरों पे गिरने को तैयार ..बड़ी मुश्किल से विनेश जी ने उन्हें संभाला.. और मुल्ला जी की दीनता देख हमारे कोमल ह्रदय प्रॉफेसर ज्यादा देर तक टिक न सके अपनी बात पे.. १००० रु ला कर रख दिए मुल्ला के हाथ में और कहा की मेरे भाई इसी से काम चलाओ अभी ..मुल्ला गदगद हो उठे ..गले से लगा लिया विनेश जी को..और कहा यार जब भी तुझे अदृश्य होने की ज़रुरत हो..मांग लेना मुझसे वो प्रोडक्ट.. ( हर किसी को ज़रुरत पड़ती है कभी अदृश्य होने की ) ... और मुल्ला जी ख़ुशी ख़ुशी घर वापस आ गए ..बाकी के १००० रु उन्होंने बाज़ार से उधार उठाये ये सोच कर कि एक बार अदृश्य हो जाऊंगा तो कौन कर पायेगा वसूली मुझसे ........
और साहब मुल्ला जी ने फुनवा गुमाई दिया .....
फ़ोन पर सुरीली आवाज़ सुनते ही मुल्ला जी तो गश खाते खाते बचे
हमारी जमालो बी बड़ी नफ़ासत से पूछ रही थी -----कहिये क्या खिदमत कर सकते हैं हम आपकी ?
मुल्ला ----ज्ज्ज्ज्ज्जीईईईईइ...व्व्व्व्व्व्व्ब् ब्ब्ब्ब.. ईई श्श्श तितिती हार .....
जमालो ----जी हाँ कहिये वो मिस्टर इंडिया वाला?
मुल्ला -----जी हाँ जी हाँ .... !!
जमालो----- बताइए कहाँ भिजवाना है?
और मुल्ला जी ने फटाफट अपना पता लिखाया ..और जमालो ने एक मीठे शुक्रिया के साथ फ़ोन रख दिया.. मुल्ला तो बहुत देर फ़ोन के चोगे से ही मिठास का अनुभव करते रहे ...
अब मुल्ला जी रोज़ डाकखाने के चक्कर लगाते ..कि कहीं डाकिया आके बेगम को प्रोडक्ट न पकडा जाए ..चौथे दिन मुल्ला जी का इन्तेज़ार ख़तम हुआ ..एक VPP पार्सल डाकखाने में आया था उनके नाम से...मुल्ला जी ने रु २११५(मय डाकखर्च) चुकाए और लपकते क़दमों से पैकेट को सीने से लगाये घर में दाखिल हुए.. चोर नज़रों से देखा कि बेगम ने उन्हें देखा तो नहीं.. और झट से अपना कमरा बंद करके बेसब्री से पैकेट खोलने लगे ..दिल कि धड़कने बढ़ी हुई थी ..आँखें तरस रही थी प्रोडक्ट के दीदार को ..और जैसे ही उपरी पैकिंग उतार के मुल्ला ने डब्बा खोला ...उनकी चीख निकल गयी.. और वे बेहोश हो कर ज़मीन पर गिर पड़े....
आप जानना चाहेंगे कि पैकेट में क्या था......
scroll down ................
बुरका ...!!!!!!!!!! .........
अरे बाप रे ई का !!!!!! .... मुल्ला जी ..इतने ज़हीन होते हुए न सोच पाए कि भैया हमारी बेगम जब बाज़ार जाट हैं तो वो तो सभैय को देख पाती हैं ..पर उनको तो काउ न देख पायिब ... बुरका जो पहने रखती हैं.....
आखिर मिल ही गया न सेर को सवा सेर..मुल्ला जी को पहली दफा किसी ने चूना लगा दिया था ......
मुल्ला जी के होश में आने के बाद उनके reaction का हमें भी इंतज़ार है... विनेश जी के १००० रु तो गए ही समझो... अब विनेश जी कैसे वसूलेंगे मुल्ला से ये एक अलग कहानी होगी....
इंतज़ार कीजिये ऐसे और भी किस्सों का जिसके कारण हमारी जमालो बी.. फजीहत के नाम से मशहूर हुई ...तब तक के लिए विदा ...
अगले दिन के अखबार में एक इश्तिहार छपा..
''अब आप भी बन सकते हैं मिस्टर इंडिया. ..आखिर हमने इजाद कर ही दिया वो product जिसे पहन कर आप तो सारी दुनिया को देख पायेंगे पर आपको कोई नहीं देख पायेगा ..तो देर न करें first come first serve के आधार पर प्रोडक्ट दिया जाएगा तुंरत फ़ोन करें xxxxxxxxxx is नंबर पर ..प्रोडक्ट की cost २००० रु और post & handeling का खर्चा अलग .प्रोडक्ट आपको VPP से भेजा जाएगा पैसे चुका के डिलिवरी लें और उसके बाद हो जाइए इस दुनिया की नज़रों से ओझल ....."....
खलबली मच गयी साहब पूरे शहर में ..चोर, आशिक, खाविंद ,किरायेदार सभी इस प्रोडक्ट के फायदे अपने अपने हिसाब से लगाने लगे ..और हमारे मुल्ला जी तो ठहरे हरफनमौला ..उनको तो इसमें अपनी ज़िन्दगी बचती नज़र आने लगी..मकानमालिक से डर कर घर में पलंग के नीचे नहीं छिपना पड़ेगा ..बाजार में लेनदारों के सामने से सीना तान के निकाल जाऊंगा ..कम्बखत देख भी न पायेंगे मुझे.. गुदगुदी सी होने लगी मुल्ला के दिल में.. और घर का छोटा मोटा सामान तो यूँही आ जायेगा अब..कितनी बार लाला ने पकड लिया मुझे तेल साबुन उठाते हुए.. भाई वाह ..जिसने भी इजाद किया है ये प्रोडक्ट.. जी चाहता है हाथ चूम लूँ उसके ..दिल खुश कर दिया ..पर ..ये २००० रु कहाँ से लाऊंगा??...दिमाग के घोडे दौडाए... अरे ... ये अपने प्रॉफेसर साहब कब काम आयेंगे ( वैसे जबसे उनका परिचय पत्र बनाया है कुछ उखड़े उखड़े से हैं ..... अमाँ यार इन छोटे छोटे सचों से कोई इतनी पुरानी दोस्ती टूटती है भला .. मेरा यार है विनेश ..मना तो कर ही नहीं सकता ).... तो साहब इन self dialogues के बाद मुल्ला जी पहुँच गए हमारे मास्टरजी के घर अपनी सबसे बढ़िया अचकन पहन कर ..विनेश जी के sixth sense ने उन्हें चौकन्ना किया ..एक तो वैसे ही उनकी सच्चाई उगल देने के कारण मुल्ला जी उनकी ब्लैक लिस्ट में शुमार हो चुके थे ऊपर से उनके घर पधारना... दाल में कुछ.. अरे नहीं पूरी दाल ही काली है ... फोर्मल hi hello का आदान प्रदान हुआ.. मुल्ला जी ने एक एक करके घर में सबकी तबियत पूछी ...विनेश जी..अन्दर ही अन्दर .. मुल्ला !!!! come to the point ..उवाच रहे थे ....ultimately मुल्ला जी ने कहा ..यार विनेश क्या बताऊँ पिछले हफ्ते तुम्हारी भाभी ने..मुझे मेरी १८वी माशूका के साथ पार्क में देख लिया..तुम समझ सकते हो क्या गत बनायीं होगी मेरी
विनेश जी ने चेहरे पर हमदर्दी के भावः लाने की कोशिश की ..मुल्ला जी बेचारगी से बोले यार वो मिस्टर इंडिया वाला प्रोडक्ट लॉन्च हो रहा है मार्केट में फर्स्ट come फर्स्ट serve basis पर ..पर पैसो का जुगाड़ नहीं हो रहा ..विनेश जी की टिमटिमाती ट्यूब लाइट भक्क से जल उठी ओहो तो ये माजरा है ..विनेश जी ने कहा ...-----यार मुल्ला ..पैसे तो मैं तुम्हें दे देता पर आजकल मेरा भी हाथ थोडा तंग चल रहा है ..कालिज वाले पेमेंट नहीं कर रहे और tours के सारे खर्चे भी मुझे अपनी जेब से देने पड़ रहे हैं ( spontaneous झूठ ..जिसमें उन्हें महारत हासिल है.. ) ... मुल्ला दीन बन गए..पैरों पे गिरने को तैयार ..बड़ी मुश्किल से विनेश जी ने उन्हें संभाला.. और मुल्ला जी की दीनता देख हमारे कोमल ह्रदय प्रॉफेसर ज्यादा देर तक टिक न सके अपनी बात पे.. १००० रु ला कर रख दिए मुल्ला के हाथ में और कहा की मेरे भाई इसी से काम चलाओ अभी ..मुल्ला गदगद हो उठे ..गले से लगा लिया विनेश जी को..और कहा यार जब भी तुझे अदृश्य होने की ज़रुरत हो..मांग लेना मुझसे वो प्रोडक्ट.. ( हर किसी को ज़रुरत पड़ती है कभी अदृश्य होने की ) ... और मुल्ला जी ख़ुशी ख़ुशी घर वापस आ गए ..बाकी के १००० रु उन्होंने बाज़ार से उधार उठाये ये सोच कर कि एक बार अदृश्य हो जाऊंगा तो कौन कर पायेगा वसूली मुझसे ........
और साहब मुल्ला जी ने फुनवा गुमाई दिया .....
फ़ोन पर सुरीली आवाज़ सुनते ही मुल्ला जी तो गश खाते खाते बचे
हमारी जमालो बी बड़ी नफ़ासत से पूछ रही थी -----कहिये क्या खिदमत कर सकते हैं हम आपकी ?
मुल्ला ----ज्ज्ज्ज्ज्जीईईईईइ...व्व्व्व्व्व्व्ब् ब्ब्ब्ब.. ईई श्श्श तितिती हार .....
जमालो ----जी हाँ कहिये वो मिस्टर इंडिया वाला?
मुल्ला -----जी हाँ जी हाँ .... !!
जमालो----- बताइए कहाँ भिजवाना है?
और मुल्ला जी ने फटाफट अपना पता लिखाया ..और जमालो ने एक मीठे शुक्रिया के साथ फ़ोन रख दिया.. मुल्ला तो बहुत देर फ़ोन के चोगे से ही मिठास का अनुभव करते रहे ...
अब मुल्ला जी रोज़ डाकखाने के चक्कर लगाते ..कि कहीं डाकिया आके बेगम को प्रोडक्ट न पकडा जाए ..चौथे दिन मुल्ला जी का इन्तेज़ार ख़तम हुआ ..एक VPP पार्सल डाकखाने में आया था उनके नाम से...मुल्ला जी ने रु २११५(मय डाकखर्च) चुकाए और लपकते क़दमों से पैकेट को सीने से लगाये घर में दाखिल हुए.. चोर नज़रों से देखा कि बेगम ने उन्हें देखा तो नहीं.. और झट से अपना कमरा बंद करके बेसब्री से पैकेट खोलने लगे ..दिल कि धड़कने बढ़ी हुई थी ..आँखें तरस रही थी प्रोडक्ट के दीदार को ..और जैसे ही उपरी पैकिंग उतार के मुल्ला ने डब्बा खोला ...उनकी चीख निकल गयी.. और वे बेहोश हो कर ज़मीन पर गिर पड़े....
आप जानना चाहेंगे कि पैकेट में क्या था......
scroll down ................
बुरका ...!!!!!!!!!! .........
अरे बाप रे ई का !!!!!! .... मुल्ला जी ..इतने ज़हीन होते हुए न सोच पाए कि भैया हमारी बेगम जब बाज़ार जाट हैं तो वो तो सभैय को देख पाती हैं ..पर उनको तो काउ न देख पायिब ... बुरका जो पहने रखती हैं.....
आखिर मिल ही गया न सेर को सवा सेर..मुल्ला जी को पहली दफा किसी ने चूना लगा दिया था ......
मुल्ला जी के होश में आने के बाद उनके reaction का हमें भी इंतज़ार है... विनेश जी के १००० रु तो गए ही समझो... अब विनेश जी कैसे वसूलेंगे मुल्ला से ये एक अलग कहानी होगी....
इंतज़ार कीजिये ऐसे और भी किस्सों का जिसके कारण हमारी जमालो बी.. फजीहत के नाम से मशहूर हुई ...तब तक के लिए विदा ...
Tuesday, August 4, 2009
RISHTON KI DOR.................
आज नलिनी का मन किसी काम में नहीं लग रहा था. यंत्रचालित सी बस घर के काम निबटाने में लगी हुई थी और फिर आके बैठ गयी सोफे पर सोचते हुए..आज दिन की घटनाओ को ...आज दोपहर में किसी काम से वो बाज़ार गयी थी तो हर तरफ चहल पहल थी.दुकानों पर रंगबिरंगी राखियाँ मिठाई की दुकानों पर भीड़ और कितने भाई अपनी बहनों के लिए गिफ्ट खरीदते हुए ..याद आया की कल तो रक्षा बंधन है !!!!.............
अतीत के भवंर में डूबती उतरती वो घर लौट आई .बचपन के दिनों से लेकर जवानी के वो खिलखिलाते पल..भाई के साथ गुज़रे लम्हे सब एक चलचित्र की भांति नज़रों के सामने से गुज़र रहे थे .पापा की लाडली नलिनी कैसे अपने से दो साल बड़े विक्रम की झूठी सच्ची शिकायतें कर उसकी डांट पड़वा देती थी ..और माँ के हाथ के बने लड्डू बराबर बाँट दिए जाने के बाद ..अपने हिस्से के जल्दी जल्दी ख़तम कर टुकुर टुकर तकती थी भाई को खाते देख...तब माँ कैसे घुड़कती थी भाई को..- बहिन देख रही है और तू खा रहा है ..शर्म नहीं आती तुझे..चल दे उसे भी... और विक्रम बेचारा हमेशा घाटे में रह जाता ......कितना सीधा था मेरा भाई..था क्या.. आज भी है..सोचते सोचते नलिनी की आँखें भर आई ...कॉलेज का वो पहला साल..भाई के होने से कितना सुरक्षित महसूस करती थी वो...और विक्रम भी तो हमेशा उसके चारों तरफ अपनी निगाहों का जैसे घेरा बना के महफूज़ रखता था उसे ...घूमने फिरने पिकनिक पिक्चर हर जगह हंसते खिलखिलाते दोनों भाई बहिन अपने दोस्तों में सबके प्रिय थे ...अविरल से प्यार की भनक भी भाई को ही सबसे पहले मिली थी ...और उसने ज़मीन आसमान एक कर दिया था उसकी जांच पड़ताल करने में.सब तरफ से तसल्ली होने के बाद उसने नलिनी के सर पर अपना हाथ रख दिया था - तू चिंता मत कर मैं हूँ न... और फिर सचमुच जैसे ढाल बन गया था वो परिवार के हर तीर के सामने..गैर जाती का अविरल उस ज़माने में इतनी सहजता से स्वीकार्य नहीं था पर विक्रम ने उसे उसकी खुशियों से मिलाने का अपना वादा बखूबी निभाया .....
हर राखी पर सुबह से ही नलिनी घर को सजाती..दरवाजों पर सोन रखती..एक तरफ नलिनी एक तरफ विक्रम लिख कर सौ सौ दुआएं देती भाई को ..और अपनी स्नेह्सिंचित राखी भाई की कलाई पर बाँध मजबूत कर लेती अपने प्यार की इस डोर को ..पर......... एहसास नहीं था उसे की ये डोर कमज़ोर हो सकती है..दुनियावी बातों का असर इस रिश्ते को भी धुंधला कर सकता है ........
शादी के बाद नलिनी हर राखी पर स्वयं अपने हाथों से राखी बांधने घर आया करती थी ...भाई की शादी के बाद भी दस्तूर जारी रहा शुरू में कुछ साल भाभी का प्यार बरसता रहा नलिनी पर पर धीरे धीरे नलिनी को दूरियों का एहसास होने लगा और उसने अपना आना बस रक्षाबंधन तक ही सीमित कर लिया ...एक बार वो बिना बताये भाई को चौंकाने के लिए घर पहुँच गयी ..बहुत उत्साह से दोनों भतीजों के लिए कपडे खिलोने..भाभी के लिए साडी..और भाई के लिए घडी की खरीदारी की थी उसने .घर की doorbell दबाने के लिए जैसे ही हाथ बढाया उसने भाभी की अन्दर से आती हुई आवाज़ ने उसका हाथ रोक दिया..भाभी फ़ोन पे बात कर रही थी...
हाँ माँ ..अच्छा है इस बार दीदी नहीं आ रही है..न ही उनका कोई फ़ोन आया ..वरना विक्रम तो जैसे घर लुटाने के लिए तैयार रहते हैं बहिन के लिए .....ह्म्म्म हम्म... हां.. हाँ और क्या.. हमारे भी तो खर्चे बढ़ रहे हैं.. अब आती है तो खाली हाथ विदा भी तो नहीं कर सकते..उसका क्या है.. इंजिनियर पति है.. खता पीता घर है.. पर मेरे पास तो इतना पैसा नहीं है न.. आ जाती है तोहफे ले कर अपने पैसों का रौब दिखाने.. फिर उसी हिसाब से हमें लौटना भी तो पड़ता है....जैसे तैसे तो मैंने उसका आना साल में एक बार तक सीमित कराया है...... अच्छा है ..आना बंद हो तो मैं चैन पाऊं .....
नलिनी स्तब्ध सी ..वंही की वंही पत्थर सी जम गयी... आँखों से आंसुओं की धार फूट पड़ी.मन हुआ वंही से वापस लौट जाए पर अविरल को क्या कहेगी.. भाभी का ये ओछापन बता पाएगी उन्हें?? कुछ पल यूँही खड़ी रही ..भाभी की आवाज़ आनी अब बंद हो गयी थी ..खुद को संयत कर करीब १५ मिनट के बाद नलिनी ने घंटी बजायी.भाभी ने दरवाजा खोला और एक पल के लिए हतप्रभ हो..गले से लगा लिया नलिनी को..
-अरे दीदी फ़ोन कर देती.हम आ जाते लेने .विक्रम तो कितने उदास थे ..बच्चे भी बुआ क्यूँ नहीं आ रही ..रट लगाये हुए थे ...विक्रम कितने खुश होंगे.. .....
और नलिनी एक फीकी मुस्कराहट के साथ सोच रही थी की इंसान कितने मुखौटे लगा सकता है ..उसी पल उसने अगले साल से न आने का प्रण कर लिया था ....कितने साल उसे अपने न जाने के झूठे कारन अविरल से बताने पड़े थे...फिर उनको भी समझ आ गया था ..एक कर्त्तव्य की तरह वो राखी भेज दिया करती थी..भाई ने एक दो बार पूछा फिर वो भी अपनी दुनिया में ज्यादा सहज हो गया .
हर राखी के बाद भाभी का दो line लिखा हुआ moneyorder आ जाता था जो नलिनी को एक भारी बोझ सा लगने लगा था ... रक्षाबंधन से १५ दिन पहले से दुविधा शुरू हो जाती..राखी भेजूं की न भेजूं .पूरे साल खबर भी नहीं मिलती भाई की...कितना बदल देता है वक़्त इंसान को...राखी भेजने से ही क्या रिश्ता निभता है.....मेरे बच्चे कब बड़े हो गए..कब कॉलेज गए .. उनके मामा को पता ही नहीं है ....राखी भेजना और जवाब में पैसों का आ जाना ..वितृष्णा होती थी नलिनी को ...उन दोनों के बीच का प्यार स्नेह कब भौतिकता की भेंट चढ़ गया पता ही नहीं चला ....अंतत: नलिनी ने राखी भेजना भी बंद कर दिया और फिर किसी शुभचिंतक से पता चला था की भाभी ने खूब कसीदे काढ़े हैं उसके लिए ...
---भाई की जरा चिंता नहीं है..अरे बड़ी होगी अपने घर की.... राखी भी नहीं भेजती... मैं तो खुद ही खरीद कर बंधवा देती हूँ.. रस्म तो निभानी चाहिए...
जिस साल राखी बिना भेजे आये हुए moneyorder को वापस किया था नलिनी ने ..वही साल था सारे धागों के टूट जाने का ..... वो डोर जिसके हर बात में विक्रम और नलिनी का प्यार बसा था.... खुलती चली गयी और एक एक करके धागे टूटते चले गए .... और आज नलिनी को ये भी पता नहीं चला की रक्षाबंधन आ चुका है ............................
सोचते सोचेत कब अँधेरा हो गया नलिनी को पता ही नहीं चला..
अविरल की आवाज़ ..--------अरे भाई नीलू कंहा हो..ये अँधेरा क्यूँ कर रखा है घर में....?
खुद को संभालती नलिनी उससे पहले बत्ती जल उठी... और उसकी सूजी आँखें देख अविरल सब कुछ समझ गए..
मुस्कुराते हुए उसे बाँहों में समेटा और कहा ---छूटने दो नीलू जो छूट रहा है..पकड़े रहोगी तो कभी खुश नहीं रह पाओगी.. वो खुश हैं.. स्वस्थ हैं.. और तुमको क्या चाहिए..तुम दिल से दुआ करो ..और तुमको क्या पता विक्रम भी तुमसे जुड़ा हो .. रिश्तों की डोर चाहे बाहरी तौर पर न दिखे पर मजबूत इतनी होती है कि सिर्फ उससे बंधे हुए लोग ही उसका जुडाव महसूस कर सकते हैं ...खुश रहो और किसी भी बात का कोई गिला मत रखो..यही तुम्हारे भाई को तुम्हारा राखी का गिफ्ट होगा ..
नलिनी मुस्कुरा उठी.. और ये सोचते हुए चाय बनाने चल दी कि कल सुबह सबसे पहले उठ कर भाई को फ़ोन करेगी..और अपने रक्षाबंधन कि एक खूबसूरत शुरुआत करेगी...
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