Wednesday, March 30, 2011

मुल्ला नसीरुद्दीन की धारणा

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इन्सान अपनी कमाई हुई , जुटाई हुई या उधार ली हुई धारणाओं में जीने का आदी है .कहीं कुछ पढ़ लिया या किसी ने कुछ किसी के बारे में बता दिया तो बना ली धारणा अपने मन- मस्तिष्क में और फिर वह धारणा बदलना कई बार नामुमकिन सा हो जाता है. हर कोई अपनी धारणा को सही मान कर दूसरे को गलत साबित करने पर तुल जाता है और नतीजा होता है तर्क-कुतर्क ..अपनी गढ़ी हुई परिभाषाओं के मुताबिक हालात को उसी खांचे में फिट करने का रवैय्या होता है हम सभी का मगर हमारे मुल्ला जी जैसे जागरूक इन्सान अपने तुज़ुर्बों पर ही भरोसा करते हैं ..किसी के कहे सुने से नहीं उनकी धारणाएं अपने खुद की भोगी हुई हकीक़तों पर डिपेंड करती हैं अब पिछली होली का ही किस्सा सुनिए ..


मुल्ला जी अपने यार दोस्तों के घर खूब पकवान उड़ा कर आये .. अपने बूते से ज्यादा दारू, गोश्त और मिठाईयां भर ली पेट में .. कौन रोज रोज मौका मिलता है ..नोर्मल दिनों में तो दोस्त लोग दूर से देख कर दरवाजा बंद कर लेते हैं त्यौहार पर तो लिहाज करना ही पड़ता है उन्हें ..तो मुल्ला जी ने भी मौके का फायदा उठाया और बेहिसाब पेट भराई कर ली .कुदरतन उनके नाज़ुक पेट ने जवाब दे दिया .. मुल्ला जी टायलेट के चक्कर लगते लगते अधमरे हो गए ...और आखिरकार उन्होंने बिस्तर पकड़ लिया ..घर में कोहराम मच गया ..बीवी और आधा दर्जन बच्चे उनके बिस्तर को घेर कर उनके चुसे गन्ने से जिस्म को यूँ निहार रहे थे जैसे कि उनके आखिरी दीदार कर रहे हों ..तभी किसी दोस्त ने डॉक्टर को बुलाने की सलाह दे डाली ...मुल्ला ने बेहोशी की सी हालत में सुना कि डॉक्टर कह रहा था आपने मुझे बुलाने में बहुत देर कर दी.. मुल्ला जी तो अब चंद घंटों के मेहमान हैं ..छ: बजते बजते दुनिया से कूच कर जायेंगे ..रोना पीटना मच गया साहब .. मुल्ला जी की बेगम गाली दे दे कर मुल्ला को कोसती .." इतना मना किया था मरदूद को , इस भकोसने की आदत को छोड़ने के लिए कितनी बार समझाया मरे को लालच लगा था .हाय!! मैं इन नासपीटे छ: बच्चों के साथ कहाँ जा कर मरूंगी .. मेरी तो जिनगी बरबाद कर दी ..हाय ..हाय !! " ..छाती पीट पीट कर मुल्ला की बेगम ने वो दहाड़ें लगायी कि पूरे मोहल्ले में यह खबर फ़ैल गयी कि मुल्ला जी खुदा को प्यारे हो गए .. बच्चे भी सातवें सुर में अपनी अम्मी से छेखने चिल्लाने का मुकाबला कर रहे थे ..पूरा माहौल मातमी हो गया था .. मोहल्ले वाले भी आ करतसल्ली देने लगे और अपनी हमदर्दी ज़ाहिर करने लगे .." अच्छे आदमी थे मुल्ला जी .. इतने शरीफ कि बस पूछो ही मत ..क्या मजाल जो कभी किसी को बुरी नज़र से देखा हो .."

मुल्ला जी के कानों में सब बातें पड़ रही थी .. मुल्ला जी हैरान थे कि ये मोहल्ले वालों के सुर अचानक बदल कैसे गए ..हर जगह घुड़की खाने वाला मुल्ला आज इतना शरीफ कैसे दिख रहा है इनको.. और तब मुल्ला को एहसास हुआ कि मुल्ला जी खुदा को प्यारे हो गए हैं .. और इसीलिए इन्सान के भी प्यारे हो गए हैं ..इन्सान ऐसी हिमाकत कैसे कर सकता है कि खुदा को प्यारे हुए इन्सान की बुराई करे ..पूरा माहौल जोर शोर से एलान कर रहा था कि मुल्ला जी फौत हो गए हैं हैं ..मुल्ला जी भी आँख बंद करके पड़ गए और उन्होंने मान लिया कि जो कुछ मैं देख सुन रहा हूँ,वो मेरा जिस्म छोड़ चुकी मेरी रूह ही देख सुन रही है .. ..और मुल्ला जी ने कुरान की आयतें बुदबुदाना शुरू कर दिया ..और बीवी से कहा कि मौलवी को बुला लो ..बीवी ने घुड़क दिया कि मर कर भी चैन नहीं है तुम्हें ..चुपचाप पड़े रहो अब तुम मर चुके हो जो करना है हम कर लेंगे ..
मुल्ला जी बेचारे चुप हो कर पड़ गए ..धीरे धीरे सारी रस्में होने लगी मुल्ला जी की मय्यत तैयार हुई ..जब उनके अंतिम संस्कार के लिए मोहल्ले के कुछ लोग उनके पास आये तो उनको एहसास हुआ कि मुल्ला जी की सांसें तो चल रही हैं ..उन्होंने कहा कि मुल्ला जी तो जिन्दा हैं भाई.. इनको कैसे दफना सकते हैं हम
डॉक्टर से पूछा गया ..डॉक्टर बोला-" हाँ भाई मुल्ला जी तो जिन्दा हैं ..मौत की घडी टल गयी ..मुल्ला जी बच गए" ..मुल्ला जी को कहा गया कि आप बच गए बधाई हो ..मगर मुल्ला जी तो महसूस कर चुके थे मौत का.. बोले नहीं भाई मैं तो मर चुका हूँ अब मेरा इस दुनिया से कोई नाता रिश्ता नहीं .."
सब बहुत हैराँ परेशान हो गए ..मुल्ला जी ना खाना खाएं ना दवा पियें ..बार बार कहें कि मरे हुए आदमी को क्या खाना और क्या दवा ..मैं तो मर चुका हूँ ..किसी को समझ नहीं आ रहा था कि उनको कैसे यकीन दिलाएं कि वे जिन्दा हैं ..मुल्ला को आईना दिखाया कि देखो तुम्हारा अक्स दिख रहा है ना इसका मतलब तुम जिन्दा हो ..लेकिन मुल्ला बोले कि यह तो मेरा जिस्म है मेरी रूह इसको देख रही है जो अलग हो चुकी है इस जिस्म से ...ये तो मुल्ला के मरने से भी ज्यादा बड़ी मुश्किल हो गयी कि मुल्ला को उसके जिन्दा होने का यकीन कैसे दिलाया जाए .. आखिरकार डॉक्टर साहब को एक तरीका सूझा ..उन्होंने मुल्ला से पूछा कि मुल्ला तुम जानते हो ना कि मरे हुए आदमी के जिस्म को काटो तो खून नहीं निकलता ..मुल्ला बोले हाँ साहब बिलकुल जानता हूँ ..तो डॉक्टर साहब ने मुल्ला के हाथ में नश्तर से एक घाव किया और उसको आईने में दिखते अक्स से टपकता हुआ खून दिखाया ..और कहा देखो मुल्ला तुम्हारे जिस्म से खून टपक रहा है ..इसका क्या मतलब हुआ ??

मुल्ला बोले- हाँ डॉक्टर साहब ..बिलकुल सही ..मेरे जिस्म से खून टपक रहा है ..इसका ये मतलब हुआ ..कि मरे हुए आदमी के जिस्म से भी खून निकल सकता है.. अभी तक आप सबको ग़लतफ़हमी थी कि मरे हुए आदमी के जिस्म से खून नहीं निकलता ..मगर आज यह साबित हो गया है कि मुर्दा जिस्म से भी खून निकल सकता है ...डाक्टर साहब इस पर तफसील से लिखिए और मेडिकल इंस्टिट्यूट में पेपर पेश कीजिये ..आप भी क्या याद रखेंगे कि मरते मरते भी मुल्ला एक सच को जग ज़ाहिर कर गया ..!!!

Sunday, March 6, 2011

भय का भूत -मुल्ला नसीरुद्दीन का दर्शन

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एक बार की बात है ,मुल्ला जी अपने यार दोस्तों के साथ फिलम का आखिरी शो देखने के बाद और चिलम गांजे केसुट्टे लगाने के बाद अफीम की पिनक में घर की तरफ़ जा रहे थे ...अपने में मगन मुल्ला फिलम का कोई गीतगुनगुनाते हुए जा रहे थे .."मुल्ला बदनाम हुआ फजीहत तेरे लिए " टाइप .....इतने में उन्हें लगा कि कोई उनकापीछा कर रहा है ..चौंक के इधर उधर देखा तो नीम अँधेरा .. हाथ को हाथ न सूझे ..सिहरन सी दौड गयी मुल्ला केपूरे शरीर में...

झींगुरों की आवाज़. कहीं कहीं मेंढकों की टर्राहट और अँधेरे में चमकते जुगनुओं की रोशनी में पेड़ों के साये.. बहुतभयावह लग रहे थे ...मुल्ला की टांगें कांपने लगीं ..तभी उनके कानो में कुछ आवाजें पड़ी... दिल की धडकन कोरोकने की नाकाम कोशिश करके मुल्ला ने कान लगा दिए उन आवाजों पर...ऐसा लग रहा था की २०-२५ लोगों काझुण्ड उनकी तरफ़ बढ़ा आ रहा है... आवाज़ के लहकने से अंदाज़ा लग रहा था कि सबने दारू चढाई हुई है... मुल्लाने आँखें गड़ा गड़ा के देखा .. अब तक मुल्ला की नज़रें इस अँधेरे की अभ्यस्त हो चली थी... मुल्ला से १५-२० हाथकी दूरी पर
कुछ लोग सर पे साफा बांधे हुए ..कुछ एक के हाथों में बन्दूक ..हँसी ठठ्ठा करते चले आ रहे हैं..मुल्ला जी ने तुरंतनिष्कर्ष निकाला ..भैया आज तो फँस गए तुम "डकैतों' के चंगुल में... डर के मारे मुल्ला के होश फाख्ता हो गए..

वैसे लुटे जाने लायक कोई वस्तु मुल्ला के पास नहीं थी.... यहाँ तक कि अचकन भी उधार की पहने हुए थे मुल्ला.. लेकिन डकैत तो डकैत ... न उनका धर्म न ईमान.. गोली से उड़ाते देर नहीं लगेगी ..मुल्ला को अपनी कमसिन बीवीऔर ५ अदद बच्चों का खयाल आया .. और आनन फानन में मुल्ला सड़क के किनारे बनी एक चारदीवारी कोफलांग गए ..उनको चारदीवारी फलांगते उस झुण्ड में से एक आदमी ने देखा... और उनकी झोला सी अचकन को नाजाने क्या समझ के उसकी भी घिघ्घी बंध गयी.. हकलाते हुए उसने अपने बाकी साथियों को बताया .. सभी हल्लामचाते हुए उस चारदीवारी को कूद गए ...एक के पास दियासलाई थी..उसने एक तीली जलाई तो पाया कि वो एककब्रिस्तान है ...

अपने को बहुत दिलेर कहने वालों की भी रीढ़ की हड्डी सुन्न होने लगी...मुल्ला को काटो तो खून नहीं ..आँख बंदकरके मुल्ला ने कुरान की आयतें पढ़ना शुरू कर दिया.... झुण्ड में सबने एक दूसरे को चुप रहने का इशारा कियाऔर कहा देखो..कोई मुसलमान है .... इतने में मुल्ला जी ने महावीर विक्रम बजरंगी... बोलना शुरू कर दिया ..झुण्डमें सभी ने एक दूसरे को देखा और बोले नहीं भाई ये तो हिंदू है... मुल्ला हमारे धर्म निरपेक्ष ..ऐसे बुरे समय में वैसेभी कोई रिस्क नहीं लेना चाहते थे ...उन्होंने नानक नाम जहाज है बुदबुदाना शुरू किया और अंत में ..ओ' जीससओ' मेरी ...पढते हुए.. सीने पर क्रॉस का चिन्ह भी बना लिया ..

ये सब सुन कर उस पूरे समूह में भय की लहर दौड गयी... उनको लगा कि आज तो कोई आत्मा भटक रही है यहाँआत्मा का कोई धर्म नहीं होता ..ऐसा सभी ने सुना था ) ..माचिस की तीलियां जला जला कर अब खतम होने कीओर थी... उधर हमारे मुल्ला जी भी अँधेरे में छुपने की कोशिश में थे कि अचानक एक ताज़ी खुदी कब्र में जा गिरे.. जिसमें अगले दिन सुबह ..उनके पड़ोसी लड्डन मियां के शरीर को दफनाया जाना था जिनका आज ही इन्तेकालहुआ था ...अब मुल्ला जी डर वर सब भूल गए और चिल्लाने लगे जोर जोर से.... बचाओ बचाओ!!....

तभी उस भीड़ में से भी एक शरीर धडाम से मुल्ला जी के ऊपर आके गिरा ..और वो उन्हें मरा हुआ शरीर समझचिल्लाने लगा ..अचानक मुल्ला जी बोले- अरे मियाँ जुम्मन...तुम यहाँ ?तुम तो कल्लन मियाँ की शादी में गए थेन बाराती बन कर !!!

जुम्मन भाई भी मुल्ला जी को पहचान गए .. बोले- वहीँ से तो लौट रिये हैं हम सब.... मुल्ला तुम यहाँ क्या कर रहेहो....

मुल्ला जी ने कहा ..भाई जो तुम कर रहे हो... तुम्हारे कारण मैं और मेरे कारण तुम इस कब्र में पड़े हैं.... !!!

मुल्ला जी ने बातों ही बातों में एक गूढ़ दार्शनिक रहस्य प्रस्तुत कर दिया था

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पांच या पांच लाख - बकौल मुल्ला नसीरुद्दीन


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मुल्ला जी की कई खूबियों से आप लोग परिचित है .उनकी तर्क शक्ति ,उनका दर्शन सभी को हमने जाना समझा हैसमय समय पर प्रस्तुत उनके कई किस्सों द्वारा ..आज उनकी एक खास खूबी का मैं जिक्र करना चाहूंगी जिसकेकारण मुल्ला जी की बेगम उन पर सौ सौ जान न्यौछावर रहती हैं..और वह है - किसी भी वस्तु को देख कर तुरंतउसकी असलियत को ताड़ लेना ..इसके चलते बाजार हाट का काम मुल्ला जी के ही जिम्मे गया है क्यूंकि वेकिफायती दाम में बेहतरीन माल ले कर आते हैं इस व्यवसायिकता के दौर में ..सब्जी मंडी जायेंगे तो सबसे ताज़ीसब्जी सबसे कम दामों पर ले कर आयेंगे ..जहाँ इतना कॉम्पिटीशन है बाजार में कि असल कौन और नक़ल कौनवहाँ इस तरह की नज़र होना खुदा की नेमत ही तो है

अक्सर देखा जाता है कि लोग किसी भी वस्तु /व्यक्तित्व का अंदाज़ा उस पर लगे प्राईज़ टैग से करते हैं जैसे कुछखरीदने जायेंगे तो गुणवत्ता को कीमत से आंकेंगे..या किसी का रहन सहन किस स्तर पर है उससे उसके व्यक्तित्वका अंदाज़ा लगाएंगे ...किसी पोश इलाके में रिहायिश है आपकी तो आपका स्तर ..किसी मोहल्ले में रहने केआपके स्तर से अलग हो जाएगा ..ऐसे ही किसी की बुद्धिमत्ता को उसके नाम के साथ लगी डिग्रियों से आंका जाताहै ..किसी की पॉपुलैरिटी उसके गुणों के कारण नहीं उसके पीछे लगी भीड़ के कारण होती है ..जैसे अपने अंतरजालपर कम्यूनिटीज़ और ब्लॉग में ..किसी की मेधा और सृजनशीलता को उसकी रचनाओं पर मिली टिप्पणियों औरफोलोवर्स की लंबी लिस्ट से आँका जाता है..कहने का तात्पर्य यह कि किसी के व्यक्तित्व को जानने के लिएअधिकतर लोग आंकड़ों का सहारा लेते हैं

एक परिचिता हैं मेरी ..उनकी बातें कभी पांच सितारा होटल के खाने से नीचे होती ही नहीं ..जब भी मिलना होता हैउनका बखान शुरू हो जाता है..गन्ने का रस भी पीती हैं तो पांच सितारा होटल में ही पांच सौ रूपये प्रति गिलास केहिसाब से ..साथ में अंग्रेजी का जुमला -

"oh !! I love sugarcane juice with a dash of black salt ,few drops of lemon, ginger and a teaspoon full of vodka in it .."

जैसे पांच सौ रुपयों का होने से गन्ने का स्वाद बदल जाता हो ...
अक्सर देखा है उनको गिफ्ट में देने का सामान छोटी दुकानों से ले कर उसके प्राईज़ टैग में आगे एक या पीछे जीरोबढ़ाते हुए ..और फिर किसी नामी दुकान के कैरी बैग में पैक करते हुए .. गिफ्ट का स्तर कोई भी हो पैकिंग सेइम्प्रेशन पड़ना चाहिए ...

हमारा शहर जरदोजी के काम के लिए मशहूर है ..और यहाँ की बनी साड़ियां और सूट्स बड़े बड़े शहरों में जाते हैंबड़े बड़े शोरूम्स पर ,जहाँ जाते ही उनके प्राईज़ टैग दुगुने तिगुने हो जाते हैं ..
एक बार मैंने अपनी उन्ही परिचिता को अपने शहर से खरीदी हुई एक साड़ी दिखाने से पहले उसके प्राईज़ टैग मेंएक शून्य बढ़ा दिया ... पचीस सौ की जगह पचीस हज़ार ...बस उसके बाद उस साड़ी की तारीफ में उनकीईर्ष्यामिश्रित टिप्पणियां मुझे उनके पूरे व्यक्तित्व का उल्लेख करती गयी ..ज़रा सैम्पल देखिये ..- " साड़ी तो सुन्दरहै ..लेकिन थोड़ा महंगी है ..पिछली बार मैं ऐसी ही साड़ी लायी थी बाईस हज़ार में ..कपडा बिलकुल यही था ..बल्किकढाई इससे कुछ ज्यादा ही रही होगी .. तुमने कहाँ से ली.". मैंने कहा बेनज़र से ( सुना है कोई बड़ा शो रूम है मुंबईमें ) ..उनका उवाच था -ओह !! बेनज़र वाले तो लूटते ही हैं.. हाँ लेकिन वहाँ से लेने में तसल्ली रहती है कि चीज़अच्छी मिलेगी ..थोड़ा पैसा ज्यादा है तो क्या हुआ ..भाई मुझसे तो ये छोटी दुकानों से शोपिंग करी नहीं जातीकितना घटिया होता है वहाँ का सामान.."

मैंने कहा कि मुझे तो लगता है कि कई बार एक ही सामान की सिर्फ दुकानों के बदलने से कीमत बढ़ जाती हैडिपेंड करता है कि खरीदार का स्तर क्या है ..जैसे हमारे मुल्ला जी ..."
ओह!! विषय से भटक गयी थी लेकिन गनीमत है वापस पहुँच गयी मुल्ला जी की खरीदारी स्किल पर तो साहबहुआ यूँ कि हमारे मुल्ला जी .. एक बार एक १५ माले की बिल्डिंग में जाने के लिए लिफ्ट में चढ़े .. जैसे ही लिफ्ट कादरवाज़ा बंद होने को था ..एक महीन सी आवाज़ आई रुकिए प्लीज़.. और मुल्ला जी ने डोर ओपन का बटन दबादिया एक लिपी पुती शोख सी महिला लिफ्ट में एंटर हुईं मुल्ला जी को अपनी कटीली मुस्कुराहट से घायल करतीहुई बोलीथैंक्स ...
मुल्ला जी की पारखी नज़रों ने उनका निरिक्षण परिक्षण शुरू किया ॥यत्न से संवारा गया बदन ..कसा हुआ बिनाबाँहों का लो कट ब्लाउज़ नाभि दर्शना पारदर्शी साड़ी , ब्यूटी पार्लर में दक्ष हाथों द्वारा यत्न से तराशा नैन नक्शमेकअप की इतनी परते कि उनका असल रंग कहीं छुप गया था ..

अंग प्रत्यंग पर अच्छी खासी मेहनत की गयी थी ..लगता था कुशल चिकित्सक के हाथों शरीर के उभारों औरकटावों को व्यवस्थित कराया गया था राखी सावंत के मानिंद ,मतलब पुरुषों को रिझाने के सभी हथकंडे अपनाए हैंइस शालीन नारी ने ...जिस तरह शोरूम वाले डिस्प्ले पर शोकेस में ग्राहक को आकर्षित करने के लिए खूबसूरतआईटम्स लगाते हैं ..राह चलते लोगों को भी रुक कर विंडो शोपिंग में मज़ा आता है

मुल्ला जी के मुंह से बेसाख्ता निकल गया .."आहा !!क्या सौंदर्य है ..अप्सराओं को भी मात करने वाला ..."

सुन कर महिला मन ही मन इठलाई ..किन्तु प्रकट में मुल्ला जी को घूर कर बोली - ' क्या अंट -शंट बक रहे हो जीशर्म नहीं आती एक गैर महिला पर टीका टिप्पणी करते हुए .."

मुल्ला ने मन में सोचा - "गैर पर नहीं करूँ तो क्या अपनी पर करूँ ..जो २४ घंटे चंडी बनी रहती है " ,
प्रकट में बोला - अंट -शंट नहीं बोल रहा हूँ जी... और अगर गैर की मुश्किल है तो अपनी बना लेता हूँ ,एक रात केलिए ..”

महिला आग बबूला हो गयीबोली –“शर्म नहीं आती ,भली औरतों पर बुरी नज़र डालते हुए , अभी पोलिस मेंशिकायत कर दूँगी
मुल्ला बोला –“ कोई चोर उचक्का नहीं हूँ जी जो कहता हूँ उसकी पूरी कीमत देने को तैयार हूँ .. एक रात को मेरीबन जाओ पांच लाख रूपये में ..बोलो क्या कहती हो !!"

महिला एक दम पिघल गयी ..पांच लाख रूपये कम नहीं होते ,सुन के कोई भी पिघल जाए..बोली - ठीक है बताओकहाँ रहते हो ...? "

मुल्ला बोले - ' वो तो बाद में बताऊंगा .. फिलहाल ये जान लो कि मेरे पास अभी सिर्फ पांचरूपये हैं .."

अब महिला भड़क गयी - बोली- "तुमने मुझे समझा क्या है... ?? इतनी नीच बात कहने की हिम्मत कैसे हुईतुम्हारी !!"

मुल्ला जी बोले - " मोहतरमा , तुम्हें जो समझना था वो तो मैं समझ चुका...मामला अब औकात बताने का नहीं वोतो जान ली है , पांच लाख में बात नीच थी और पांच रु में वही बात नीच हो गयी..अब बात के ऊंचे नीचे होने कासमय गया .. अब तो बस मोल भाव कर रहा हूँ...!!"

मुल्ला जी हमारे पारखी ग्राहक ...महिला की असलियत का अंदाज़ा उन्हें लग चुका था ..:) .. .. , ..