Sunday, March 6, 2011

पांच या पांच लाख - बकौल मुल्ला नसीरुद्दीन


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मुल्ला जी की कई खूबियों से आप लोग परिचित है .उनकी तर्क शक्ति ,उनका दर्शन सभी को हमने जाना समझा हैसमय समय पर प्रस्तुत उनके कई किस्सों द्वारा ..आज उनकी एक खास खूबी का मैं जिक्र करना चाहूंगी जिसकेकारण मुल्ला जी की बेगम उन पर सौ सौ जान न्यौछावर रहती हैं..और वह है - किसी भी वस्तु को देख कर तुरंतउसकी असलियत को ताड़ लेना ..इसके चलते बाजार हाट का काम मुल्ला जी के ही जिम्मे गया है क्यूंकि वेकिफायती दाम में बेहतरीन माल ले कर आते हैं इस व्यवसायिकता के दौर में ..सब्जी मंडी जायेंगे तो सबसे ताज़ीसब्जी सबसे कम दामों पर ले कर आयेंगे ..जहाँ इतना कॉम्पिटीशन है बाजार में कि असल कौन और नक़ल कौनवहाँ इस तरह की नज़र होना खुदा की नेमत ही तो है

अक्सर देखा जाता है कि लोग किसी भी वस्तु /व्यक्तित्व का अंदाज़ा उस पर लगे प्राईज़ टैग से करते हैं जैसे कुछखरीदने जायेंगे तो गुणवत्ता को कीमत से आंकेंगे..या किसी का रहन सहन किस स्तर पर है उससे उसके व्यक्तित्वका अंदाज़ा लगाएंगे ...किसी पोश इलाके में रिहायिश है आपकी तो आपका स्तर ..किसी मोहल्ले में रहने केआपके स्तर से अलग हो जाएगा ..ऐसे ही किसी की बुद्धिमत्ता को उसके नाम के साथ लगी डिग्रियों से आंका जाताहै ..किसी की पॉपुलैरिटी उसके गुणों के कारण नहीं उसके पीछे लगी भीड़ के कारण होती है ..जैसे अपने अंतरजालपर कम्यूनिटीज़ और ब्लॉग में ..किसी की मेधा और सृजनशीलता को उसकी रचनाओं पर मिली टिप्पणियों औरफोलोवर्स की लंबी लिस्ट से आँका जाता है..कहने का तात्पर्य यह कि किसी के व्यक्तित्व को जानने के लिएअधिकतर लोग आंकड़ों का सहारा लेते हैं

एक परिचिता हैं मेरी ..उनकी बातें कभी पांच सितारा होटल के खाने से नीचे होती ही नहीं ..जब भी मिलना होता हैउनका बखान शुरू हो जाता है..गन्ने का रस भी पीती हैं तो पांच सितारा होटल में ही पांच सौ रूपये प्रति गिलास केहिसाब से ..साथ में अंग्रेजी का जुमला -

"oh !! I love sugarcane juice with a dash of black salt ,few drops of lemon, ginger and a teaspoon full of vodka in it .."

जैसे पांच सौ रुपयों का होने से गन्ने का स्वाद बदल जाता हो ...
अक्सर देखा है उनको गिफ्ट में देने का सामान छोटी दुकानों से ले कर उसके प्राईज़ टैग में आगे एक या पीछे जीरोबढ़ाते हुए ..और फिर किसी नामी दुकान के कैरी बैग में पैक करते हुए .. गिफ्ट का स्तर कोई भी हो पैकिंग सेइम्प्रेशन पड़ना चाहिए ...

हमारा शहर जरदोजी के काम के लिए मशहूर है ..और यहाँ की बनी साड़ियां और सूट्स बड़े बड़े शहरों में जाते हैंबड़े बड़े शोरूम्स पर ,जहाँ जाते ही उनके प्राईज़ टैग दुगुने तिगुने हो जाते हैं ..
एक बार मैंने अपनी उन्ही परिचिता को अपने शहर से खरीदी हुई एक साड़ी दिखाने से पहले उसके प्राईज़ टैग मेंएक शून्य बढ़ा दिया ... पचीस सौ की जगह पचीस हज़ार ...बस उसके बाद उस साड़ी की तारीफ में उनकीईर्ष्यामिश्रित टिप्पणियां मुझे उनके पूरे व्यक्तित्व का उल्लेख करती गयी ..ज़रा सैम्पल देखिये ..- " साड़ी तो सुन्दरहै ..लेकिन थोड़ा महंगी है ..पिछली बार मैं ऐसी ही साड़ी लायी थी बाईस हज़ार में ..कपडा बिलकुल यही था ..बल्किकढाई इससे कुछ ज्यादा ही रही होगी .. तुमने कहाँ से ली.". मैंने कहा बेनज़र से ( सुना है कोई बड़ा शो रूम है मुंबईमें ) ..उनका उवाच था -ओह !! बेनज़र वाले तो लूटते ही हैं.. हाँ लेकिन वहाँ से लेने में तसल्ली रहती है कि चीज़अच्छी मिलेगी ..थोड़ा पैसा ज्यादा है तो क्या हुआ ..भाई मुझसे तो ये छोटी दुकानों से शोपिंग करी नहीं जातीकितना घटिया होता है वहाँ का सामान.."

मैंने कहा कि मुझे तो लगता है कि कई बार एक ही सामान की सिर्फ दुकानों के बदलने से कीमत बढ़ जाती हैडिपेंड करता है कि खरीदार का स्तर क्या है ..जैसे हमारे मुल्ला जी ..."
ओह!! विषय से भटक गयी थी लेकिन गनीमत है वापस पहुँच गयी मुल्ला जी की खरीदारी स्किल पर तो साहबहुआ यूँ कि हमारे मुल्ला जी .. एक बार एक १५ माले की बिल्डिंग में जाने के लिए लिफ्ट में चढ़े .. जैसे ही लिफ्ट कादरवाज़ा बंद होने को था ..एक महीन सी आवाज़ आई रुकिए प्लीज़.. और मुल्ला जी ने डोर ओपन का बटन दबादिया एक लिपी पुती शोख सी महिला लिफ्ट में एंटर हुईं मुल्ला जी को अपनी कटीली मुस्कुराहट से घायल करतीहुई बोलीथैंक्स ...
मुल्ला जी की पारखी नज़रों ने उनका निरिक्षण परिक्षण शुरू किया ॥यत्न से संवारा गया बदन ..कसा हुआ बिनाबाँहों का लो कट ब्लाउज़ नाभि दर्शना पारदर्शी साड़ी , ब्यूटी पार्लर में दक्ष हाथों द्वारा यत्न से तराशा नैन नक्शमेकअप की इतनी परते कि उनका असल रंग कहीं छुप गया था ..

अंग प्रत्यंग पर अच्छी खासी मेहनत की गयी थी ..लगता था कुशल चिकित्सक के हाथों शरीर के उभारों औरकटावों को व्यवस्थित कराया गया था राखी सावंत के मानिंद ,मतलब पुरुषों को रिझाने के सभी हथकंडे अपनाए हैंइस शालीन नारी ने ...जिस तरह शोरूम वाले डिस्प्ले पर शोकेस में ग्राहक को आकर्षित करने के लिए खूबसूरतआईटम्स लगाते हैं ..राह चलते लोगों को भी रुक कर विंडो शोपिंग में मज़ा आता है

मुल्ला जी के मुंह से बेसाख्ता निकल गया .."आहा !!क्या सौंदर्य है ..अप्सराओं को भी मात करने वाला ..."

सुन कर महिला मन ही मन इठलाई ..किन्तु प्रकट में मुल्ला जी को घूर कर बोली - ' क्या अंट -शंट बक रहे हो जीशर्म नहीं आती एक गैर महिला पर टीका टिप्पणी करते हुए .."

मुल्ला ने मन में सोचा - "गैर पर नहीं करूँ तो क्या अपनी पर करूँ ..जो २४ घंटे चंडी बनी रहती है " ,
प्रकट में बोला - अंट -शंट नहीं बोल रहा हूँ जी... और अगर गैर की मुश्किल है तो अपनी बना लेता हूँ ,एक रात केलिए ..”

महिला आग बबूला हो गयीबोली –“शर्म नहीं आती ,भली औरतों पर बुरी नज़र डालते हुए , अभी पोलिस मेंशिकायत कर दूँगी
मुल्ला बोला –“ कोई चोर उचक्का नहीं हूँ जी जो कहता हूँ उसकी पूरी कीमत देने को तैयार हूँ .. एक रात को मेरीबन जाओ पांच लाख रूपये में ..बोलो क्या कहती हो !!"

महिला एक दम पिघल गयी ..पांच लाख रूपये कम नहीं होते ,सुन के कोई भी पिघल जाए..बोली - ठीक है बताओकहाँ रहते हो ...? "

मुल्ला बोले - ' वो तो बाद में बताऊंगा .. फिलहाल ये जान लो कि मेरे पास अभी सिर्फ पांचरूपये हैं .."

अब महिला भड़क गयी - बोली- "तुमने मुझे समझा क्या है... ?? इतनी नीच बात कहने की हिम्मत कैसे हुईतुम्हारी !!"

मुल्ला जी बोले - " मोहतरमा , तुम्हें जो समझना था वो तो मैं समझ चुका...मामला अब औकात बताने का नहीं वोतो जान ली है , पांच लाख में बात नीच थी और पांच रु में वही बात नीच हो गयी..अब बात के ऊंचे नीचे होने कासमय गया .. अब तो बस मोल भाव कर रहा हूँ...!!"

मुल्ला जी हमारे पारखी ग्राहक ...महिला की असलियत का अंदाज़ा उन्हें लग चुका था ..:) .. .. , ..

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