Tuesday, November 13, 2018

मुग्धा: एक बहती नदी (दसवीं क़िस्त)


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(अब तक आपने पढ़ा : मुग्धा २५ साल बाद कॉलेज के गेट टुगेदर में राजुल से मिलती है ,उसके अप्रत्याशित और अजीब से व्यवहार की चर्चा अपने मनोचिकित्सक पति अखिल से करते हुए उसके व्यवहार की जड़ों तक पहुंचना चाहती है ,रविवार की खुशनुमा सुबह अखिल और मुग्धा मॉल घूमने जाने का कार्यक्रम बनाते हैं और वहां अचानक ही उनसे सोनू टकरा जाता है जो अपने पिता से बिछड़ गया है .. सोनू को ले कर जब वे लोग इनफार्मेशन काउंटर पर जाते हैं तो मुग्धा सोनू के पिता के रूप में राजुल को देख कर चौंक पड़ती है .......)

अब आगे :
(दसवीं क़िस्त)
मुग्धा की आवाज़ पर अखिल ने चौंक कर राजुल को  देखा जो इस समय नज़रें चुराता हुआ सोनू को अखिल की गोद से लेने के लिए आगे बढ़ आया था ,उसके चेहरे पर सोनू के मिल जाने की ख़ुशी से ज्यादा कुछ झेंप और शर्मिंदगी के भाव थे , वो मुग्धा की ओर देख भी नहीं रहा था और मुग्धा अचरज की स्थिति में लगातार उसे ही देखे जा रही थी . राजुल ने सोनू को गोद में लेना चाहा तो वह अखिल से और ज्यादा चिपक गया ,राजुल झुंझलाता हुआ बोला –“ ये क्या बदतमीजी है सोनू, एक तो तब से परेशान कर दिया मुझे , पता नहीं कहाँ चले गए थे और अब ये जिद “.
अखिल ने सोनू को प्यार से सँभालते हुए बहुत ही कोमल स्वर में पूछा –“बेटा , पापा के पास जाना है न ? “
सोनू ने ना में गर्दन हिलाते हुए अखिल के कंधे में मुंह छुपा लिया .
राजुल के चेहरे पर तमतमाहट उभरी लेकिन अखिल ने हाथ के इशारे से उसे शांत रहने को कहा और मुग्धा से मुखातिब हो कर बोला चलो हम सब चॉकलेट कैफ़े  चलते हैं वही बैठ कर गपशप होगी . और कहने के साथ ही उसने उधर की तरफ कदम बढ़ा  दिए ,अखिल के पीछे मुग्धा और उसके पीछे अनमना सा राजुल मजबूरी में ही सही  चल दिया ..
मुग्धा के मन में अनेकों प्रश्न उमड़ घुमड़ रहे थे लेकिन..अखिल की बात को याद करते हुए उसने खुद को जज़्ब किया हुआ था.. वह उसे अक्सर कहा करता था कि तुम मौके की नजाकत समझे बिना शुरू हो जाती हो कहीं भी ..थोडा धैर्य रखना सीखो  ..
चॉकलेट कैफ़े  पहुँच के अखिल ने सोनू को कोमलता से खुद से अलग किया और एक सोफे पे बिठा दिया .गोल मेज के इर्द गिर्द वो तीनों भी बैठ गए . वेटर आ कर मेनू कार्ड रख गया था
अखिल ने कार्ड सोनू की तरफ बढ़ाते हुए पूछा -क्या खायेगा हमारा बेटा ..सोनू के लिए यह अप्रत्याशित था ,वो कुछ कहता उससे पहले झुंझलाता हुआ राजुल बोला-इसको खिलाने  पिलाने ही लाया था मैं ..लेकिन न जाने क्या नखरे हैं साहबजादे के तब से मुँह बांधे घूम रहा है और कब मेरा हाथ छोड़ के खिसक गया पता भी नहीं चला  .
मुग्धा ने राजुल के हाथ पर अपना हाथ रख के उसे चुप रहने का इशारा किया ..मुग्धा के स्पर्श से राजुल ऐसे झेंप गया जैसे कोई अनहोनी हो गयी हो ..अखिल ने राजुल की बात को इग्नोर करते हुए मेनू कार्ड में झांकते हुए सोनू से कहा  -यहाँ का ग्रिल्ड सैंडविच और पास्ता बहुत अच्छा है ,तुमको अच्छा लगता है पास्ता?...सोनू अचंभित सा अखिल का चेहरा देख रहा था ..उसे शायद खुद ही अपनी पसंद नापसंद का अंदाज़ा नहीं था ...अखिल भांप गया था सोनू की मनस्थिति ,उसने कहा हम पास्ता और ग्रिल्ड सैंडविच मंगाते हैं और ख़ास तौर पर सोनू के लिए चॉकलेट ट्रफल पेस्ट्री ..स्ट्रॉबेरी शेक  पियोगे न ..सोनू ने चमकती आँखों के साथ हाँ में गर्दन हिला दी ..अखिल ने वेटर को बुला कर आर्डर किया और उसके बाद रिलैक्स हो कर सोनू की तरफ प्यार भरी नज़रों से देखा, सोनू कुछ कुछ सहज नज़र आ रहा था ...
राजुल को गहरी नज़रों से देखते हुए उसने कहा – हेलो राजुल ,मैं अखिल ,मुग्धा का पति ,तुम्हारे बारे में मुग्धा ने कल बताया था ..इन परिस्थितियों में यूँ अचानक मुलाकात होगी नहीं सोचा था ..कहते हए उसने हाथ मिलाने के लिए आगे बढ़ा दिया ..राजुल ने भी सकुचाते हए उसकी आँखों के गहरेपन से बचने की कोशिश करते हुए अखिल से हाथ मिलाया और पूछा –क्या बताया मुग्धा ने मेरे बारे में ?
अखिल मुस्कुराया और कहा-यही कि आप लोग बचपन के दोस्त हैं ,कल सबसे मिल कर मुग्धा को बहुत अच्छा लगा .
मुग्धा तब तक उठ कर सोनू के पास सोफे पर बैठ गयी थी ..उसके घुंघराले बालों में प्यार से उंगलियाँ फिराते हुए उसने पूछा – बेटा आपने इतनी मोटी फुल स्लीव्स की T’shirt पहनी है ..गरमी नहीं लग रही ?
और राजुल की तरफ देखते हुए बोली –“इतनी गरमी में इतने भारी भारी कपड़े क्यूँ पहनाये हैं इसे?”
राजुल बोला न जाने क्यूँ यह कभी हाल्फ स्लीव्स पहनता ही नहीं ..मैं तो अक्सर बाहर  ही रहता हूँ महीने में २५ दिन तो टूर ही रहता है ..इसके लिए कितनी ही हाफ टी ले कर आया किन्तु सब ऐसी ही पड़ी हैं और ये अपने सब Attires खुद ही लेता है और खुद ही चुन के पहनता है
अखिल इन सब बातों को गंभीरता से सुन रहा था और उसका मस्तिष्क तेज़ी से विश्लेषण कर रहा था सोनू के व्यवहार का ...
अखिल ने मुग्धा के फ़ोन पर मेसेज किया –“ सोनू की स्लीव्स ऊपर उठवाने की कोशिश करो “
मुग्धा ने फ़ोन पे अखिल का मेसेज देखा तो चौंक के अखिल से आँखों ही आँखों में पूछा ,अखिल ने पलकें झपकाते हुए उसे स्थिति की गंभीरता का एहसास करा दिया था ..
अखिल ने राजुल से पूछा –आपकी मैडम नहीं आई ? क्या नाम है उनका ?
राजुल ने विद्रूपता से कहा – मधु ... उसको तो नाटकों से फुर्सत नहीं वो कहाँ आएगी हमारे साथ
“ओह थिएटर आर्टिस्ट हैं क्या मधु ?”- अखिल ने पूछा
राजुल हँस पड़ा ,बोला- “नहीं नहीं... वो बहुत क्लेश करती है ,हर समय मुझसे लड़ती है..कभी एक दम गुमसुम हो कर किसी कोने में बैठ जाती है ..कभी किसी जंगली बिल्ली की तरह झपटती है मुझ पर ..इन सबसे बचने के लिए ही मैं अधिकतर टूर बना के खिसक लेता हूँ घर से .सोनू बताता है  मेरे जाने के बाद वह एक दम सही रहती है .”

मुग्धा ने सोनू के चेहरे को देखते हुए हलके से विरोध के स्वर में राजुल को टोका – “किस तरह बोल रहे हो बच्चे के सामने “
सोनू का चेहरा और भी उदास हो गया ..बड़ी बड़ी आँखों में मोटे मोटे आँसू भर आये थे ..और बहुत ही धीमी आवाज़ में बुदबुदाते हुए बोला- “पापा झूठ बोल रहे हैं “..
राजुल बोला- अरे जो सच है वही कह रहा हूँ ..तुम नहीं जानती उसे ..इसलिए तुम्हें लग रहा है..
मुग्धा बोली –अच्छा बताओ मधु के बारे में ..कब और कैसे हुई तुम्हारी शादी ...
राजुल ने कहा – लव मैरिज थी हमारी ..
मुग्धा बोली-अरे वाह ..कहाँ मिली तुम्हें ..साथ पढ़ती थी क्या ?
राजुल ने कहा – “नहीं ,मै जब जॉब कर रहा था तो जिस घर में किराये पर रहता था उन मकान मालिक की लड़की थी ... मेरे पीछे दीवानी थी , मुझसे शादी का वादा ले लिया ...उस समय तो मुझे भी लगा कि मैं प्यार करता हूँ इससे..लेकिन जब दूसरे शहर गया और कुछ दिन उससे दूर रहा तो खुमार उतर गया ..लेकिन मधु की जिद और फिर यह सोचा कि कोई और है भी तो नहीं जिसके लिए इसे मना करूँ” ...कहते हुए राजुल ने कुछ अजीब नज़रों से मुग्धा की ओर देखा जो मुग्धा और अखिल दोनों की निगाहों से छुप न सका .....
तब तक वेटर उनका आर्डर ले आया था , अखिल ने शेक का गिलास सोनू को पकड़ाते हुए पूछा –“ आप किस क्लास में पढ़ते हो बेटा ?”
सोनू बोला-“फिफ्थ स्टैण्डर्ड में “
अखिल ने फिर पूछा –“अच्छा लगता है स्कूल जाना ? खूब सारे दोस्त होंगे ..”
सोनू ने पलकें उठा कर राजुल की तरफ देखा और फिर आँखें झुका ली
राजुल बोला –“इसका कोई दोस्त नहीं है ..ये बहुत INTROVERT है स्कूल से घर आते ही कंप्यूटर खोल कर बैठ जाता है .घर में भी किसी से बात नहीं करता”
मुग्धा ने पूछा – “बस यही बेटा है ?”
राजुल बोला –“अब यही है ...”
मुग्धा बोली –“मतलब?”
राजुल ने कहा – “ये मेरा छोटा बेटा है इससे बड़ा एक और बेटा विभु  था जिसके दिल में जन्म के समय से ही सुराख़  था ..डॉक्टर्स ने कहा की बड़ा होने पर ऐसे सुराख  खुद ही बंद हो जाते हैं अगर प्रॉब्लम होती है तब सर्जरी का आप्शन है  ... जब उसकी उम्र ७ साल हुई तो उसकी तबियत काफी ख़राब रहने लगी उसे साँस की परेशानी हाथों पैरों में सूजन और थकान  रहती थी ..सोनू उस समय 4 साल का था , डॉक्टर को दिखाने पर उन्होंने कहा की सर्जरी ही करनी होगी यह सुराख  बढ़ रहा है ..लेकिन सर्जरी के लिए जब एनेस्थीसिया दिया गया तो विभु कोलाप्स  कर गया ..कभी कभी मुझे लगता है की सर्जरी न कराने  का सोचते तो शायद कुछ समय वो और जी लेता .”
कहते कहते राजुल भावुक हो गया था ,अखिल ने उसके हाथ पर अपना हाथ रखते हुए पानी का गिलास उसे दिया और कहा –“जितना लिखा था उसका साथ उतना ही मिला ..वो कष्ट में रहता वो भी ठीक नहीं होता .”
मुग्धा ने अचानक कहा – “सोनू के हाथ पेस्ट्री से चिपचिपा गए हैं ,मैं वाश करा कर लाती हूँ ..”
राजुल उठने का उपक्रम करता हुआ बोला “मैं धुला लाता हूँ “
मुग्धा ने कहा – “नहीं, तुम अखिल से बात करो ,मैं आती हूँ “
मुग्धा सोनू को ले कर वाश रूम चली गयी , उसे मौका चाहिए था अखिल के कहे अनुसार सोनू की स्लीव्स उठवा के देखने का .....
राजुल अखिल के गर्माहट भरे व्यवहार से थोडा सहज हो गया था  ,किन्तु मुग्धा की और सीधे देख कर बात नहीं कर रहा था ..मुग्धा के जाने के बाद थोड़ी देर ख़ामोशी पसरी रही दोनों के बीच..
फिर अखिल ने पूछा – “और आप का जॉब कहाँ है इस टाइम ?”
राजुल ने कहा – “एक्सपोर्ट का बिसनेस है मेरा ,इंडियन हेंडीक्राफ्ट और बेडशीट्स एंड Bedcovers एक्सपोर्ट करता हूँ , कई छोटी छोटी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स से कोलैबोरेशन है ,अमेरिका ,कनाडा  और यूरोप की कुछ कन्ट्रीज में भेजते हैं ..इसी सिलसिले में अक्सर बाहर रहना होता है ..कुछ घर के माहौल से दूर रहने के लिए भी बना लेता हूँ टूर.. जहाँ ज़रुरत नहीं भी होती वहां भी चला जाता हूँ “
अखिल ने कहा – “ये तो अच्छा है ,इस बहाने आपको कई कन्ट्रीज घूमने को मिल जाती हैं , लेकिन सोनू मिस करता होगा आपका साथ ...”
राजुल बोला- “मैं भी उसे मिस करता हूँ ,इसीलिए महीने में कुछ दिन के लिए आ ही जाता हूँ घर... “
तभी मुग्धा सोनू का हाथ पकडे हुए वहां आ गयी और अखिल को इशारा किया ,सोनू की स्लीव्स थोड़ी से मुड़ी हुई थी ,हाथ धुलवाने के बहाने मुग्धा ने फोल्ड कर दी थी , अखिल ने सोनू की कलाइयाँ देखीं तो एक दर्द की लहर उसकी आँखों से हो कर गुज़र गयी ,लेकिन उसने मुग्धा को इशारे से चुप रहने के लिए कहा ...
मुग्धा ने छूटे हुए क्रम को आगे बढ़ाते हुए राजुल से पूछा – “हाँ , तुम मधु के बारे में बता रहे थे न...”
राजुल ने कहा –“शादी के बाद से ही उसका व्यवहार बहुत अजीब होता चला गया ,जबकि हमारी लव मैरिज थी लेकिन बात बात पर शक करना ,ताने मारना ,मेरी किसी भी बात का उल्टा मतलब निकालना यह उसकी आदत में था लेकिन विभु की मौत के बाद तो उसका खुद पर जैसे कोई कण्ट्रोल ही नहीं रह गया है ..कभी कभी दौरे से पड़ जाते हैं उसे ...चीखने लगती है ..मुझ पर शक करती है कि मैं उसे मार डालूँगा ...अकेले खुद से बातें करती रहेगी कभी मन होगा तो घर के सब काम समय पर निबटा देगी वरना यूँही पड़े रहेंगे ..”
अखिल ने उसे बीच में ही रोक कर पूछा – “आपने कभी किसी डॉक्टर की सलाह नहीं ली ?”
राजुल बोला – “डॉक्टर को क्या दिखाना है ..? बीमार थोड़े ही है ..बस एक्टिंग करती है मुझे परेशान  करने के लिए “
मुग्धा बोली- नहीं राजुल –“ऐसा नहीं है ,हो सकता है उसे कुछ परेशानी हो ..”
राजुल बोला-“क्या परेशानी होगी ,हर चीज़ तो मुहैय्या है उसे ..पैसों की कोई कमी नहीं होने देता मैं ..शौपिंग का अंधाधुंध शौक ..कपडे गहने न जाने क्या क्या खरीदती रहेगी ..बातें भी सुनो तो ऐसी ज्ञान वाली की बड़े बड़े संत लोग भी पानी भरें .बस एक मुझसे ही न जाने क्या खार खाए रहती है ..”
 और राजुल  खुलता जा रहा था अखिल पूरे मनोयोग से उसको सुन रहा था और उसके वाक्यों से उसकी फितरत का अंदाज़ा लगा रहा था ...और मुग्धा  अखिल के मनोयोग को देख कर जान चुकी थी  कि चॉकलेट कैफ़े  का वह आउटलेट अखिल के क्लिनिक के चैम्बर  में परिवर्तित हो गया है ...

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क्रमश:

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