Friday, October 26, 2018

मुग्धा: एक बहती नदी ( नवीं क़िस्त)


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( अब तक आपने पढ़ा : २५ साल बाद कॉलेज के दोस्तों के गेट टुगेदर में मुग्धा बचपन के दोस्त राजुल से मिलती है ,जहाँ राजुल का अभी भी वही पुराना अपरिपक्व और अस्तव्यस्त सोचों से ग्रसित व्यवहार देख कर उसका मनोवैज्ञानिक विश्लेषण करने का कीड़ा कुलबुलाने लगता है.. मुग्धा के पति अखिल एक जाने माने मनोचिकित्सक हैं और मुग्धा उनसे राजुल के बारे में डिस्कस करते हुए इस तरह के व्यवहार की जड़ों तक पहुंचना चाहती है ...)

अब आगे .....

अखिल गंभीरता से बोला, "देखो मुग्धा ,मैं राजुल
से मिला नहीं हूँ और न ही मेरी उससे कभी डायरेक्ट बात हुई है. तुमने जितना उसका बैकग्राउंड बताया उसी आधार पर मैं कुछ कह
सकता हूँ लेकिन हो सकता है वो आकलन पूरी
तरह सटीक न हो ..जो कुछ तुमने बताया उस
आधार पर यही कहा जा सकता है कि राजुल ने
बचपन से एक संकीर्ण दायरे में ही जीना देखा है
..उसकी मम्मी dominating नेचर की थी और
पापा घर की शांति के लिए उनकी हर बात चुप रह
कर मानने को बाध्य ..पापा की निरीहता का
एहसास राजुल के मन में घर कर गया और उसने
खुद के लिए एक अग्रेसिव बिहेवियर चुन लिया.
उसे खुद को ऊपर रखते हुए सामने वाली, चाहे वो
फ्रेंड हो बहन हो बीवी हो या प्रेमिका उसको नीचा
दिखाने  में संतुष्टि का एहसास होता है ,मम्मी ने
उस पर प्रतिबन्ध लगाये तो उसका बदला वो
विद्रोही व्यवहार अपना कर लेता है ..बहन के
ऊपर जो बंदिशें घर में देखी, समझता है कि  वही
मापदंड होने चाहिए किसी भी लड़की के लिए
..जोर से मत हँसो  ..बात मत करो.. अपोजिट
जेंडर के साथ खुले दिल से मत मिलो ...बहुत सी
सहज इच्छाओं का दमन करना पड़ा उसको इन
मापदंडों को निभाने और निभवाने में और वो दमन
ही उसकी कुंठाओं का मूल कारण है ...जो उसे
इन से आगे सोचने विचारने ही नहीं देता."

अचानक अखिल बात पलटते हुए बोला,  "अरे हाँ
मैं तो भूल ही गया बताना कि सेलेक्ट सिटी मॉल
में मार्क एंड स्पेंसर की ओपनिंग के तीन साल पूरे
होने पर  रेगुलर कस्टमर्स के लिए आज स्पेशल
डिस्काउंट का ऑफर है..चलो न हम लोग चलते हैं
..मुझे शर्ट्स लेनी हैं ..और तुम्हारा भी तो Olay
का ऑफर आया हुआ है २०% डिस्काउंट का
...दोनों काम हो जायेंगे. हम वहीँ लंच करके
मूड हुआ तो कोई मूवी देख लेंगे"

आवाज़ में शरारत भर कर बोला, "कम से कम
सन्डे को तो यार इन मनोवैज्ञानिक बातों से निजात
लेने दो मुझे."

मुग्धा हंस कर बोली, "मियाँ अखिल, मनोवैज्ञानिक
बातों से तो जनाब आप को कोई भी निजात नहीं
दिला सकता ..आपका तो जन्म  ही जन जन की
मानसिक गुत्थियाँ  सुलझाने के लिए हुआ है
..लेकिन जाइये माफ़ किया आज आपको... अब
उठिए और तैयार हो जाइए ..मैं तब तक किचन
समेटने की हिदायतें इन लोगों को दे देती हूँ."

१२ बजते बजते अखिल और मुग्धा मॉल के
लिए निकल चुके थे ..मॉल पहुँचने पर उन्होंने
देखा कि आज तो सेलिब्रेशन वाला माहौल है.
दरअसल इस मॉल की ओपनिंग एनिवर्सरी थी
और उसी उपलक्ष्य में मॉल में जैसे मेला सा लगा
हुआ था ..बंजी जम्पिंग ,बलून्स
और मिक्की माउस ,एंग्री बर्ड्स,टेडी बेअर्स  के
चोले में सजे किरदार इधर उधर बच्चों का
मन बहलाते दिख रहे थे. छोटे छोटे बच्चे उन के
साथ हाथ मिला कर  फोटो खिंचवा रहे थे. कोई
कोई फॅमिली की सेल्फी ले रहा था ..कुल मिला
कर बहुत ही रौनक वाला माहौल था ...

दोनों पहले 'Olay'  beauty products के रिटेल
शोरूम पर पहुंचे ..Olay Sales कन्सल्टंट उन
दोनों को देखते  ही आवभगत के लिए उठ आई.
मुग्धा को  देख कर मुस्कुराते हुए बोली –"Ma'm,
you are looking very gorgeous ..बहुत
दिन बाद आई आप...भारत में नहीं थी क्या ?"

अखिल फुसफुसा कर बोला –कस्टमर फँसाना
कोई इनसे सीखे..अब बोलेगी कि आप Olay
प्रोडक्ट यूज़ जो करती हैं इसीलिये  तो आपकी
स्किन बहुत अच्छी है ..मुग्धा  की हँसी नहीं रुक
रही थी अखिल को उस लड़की की नक़ल करते
देख कर लेकिन वो गंभीर बनी रही और अपनी
ज़रुरत का सामान आर्डर कर के बिल अखिल की
तरफ बढ़ा दिया .

अखिल बोला, "लो यहाँ भी जेब मेरी ही कटनी थी
क्या ... इसे कहते हैं अपना पैर कुल्हाड़ी पे दे मारना."

मुग्धा बोली चलो अब मार्क पर चलते है...अखिल
ने बिल पे करके पैकेट उठाया और बोला, "जो
हुकुम मेरे आका !"

दोनों प्रसन्न मन मार्क-स्पेंसर की ओर चल दिए थे
तीसरी वर्षगाँठ के उपलक्ष्य में शोरूम को बहुत
सुन्दर सजाया गया था ..हर आने वाले कस्टमर
को स्पेशल फील करते हुए एक एक रोज-बड दी
जा रही थी और एक काउंटर पर एक ट्रे में
खुशबूदार आर्गेनिक ड्रिंक्स रखे थे ..मुग्धा की
नज़र उधर उठते ही शोरूम का एक एम्प्लोयी उसे
उन फ्लेवर्स  की डिटेल्स देने के साथ टेस्ट करने
का आग्रह करने लगा ..मुग्धा को नयी चीज़ें ट्राई
करने का बहुत शौक था. रेफ्रेशिंग ड्रिंक्स देख
कर गर्मी की उस दोपहर उसने  हलके हरे रंग का
आँखों को शीतलता देता हुआ ड्रिंक उठा कर होठों
से लगा लिया ..तब तक अखिल ने अपने लिए
कुछ शर्ट्स सेलेक्ट कर ली थी और अब फाइनल
चुनाव और स्टैम्पिंग मुग्धा द्वारा होनी थी.

तभी शोरूम के इनफार्मेशन स्पीकर से एक
अनाउंसमेंट हुआ ... “कृपया ध्यान दें , एक बच्चा
जिसका नाम सोनू है ,उम्र कोई ८ वर्ष, गोरा रंग,
नीली आँखें ,घुंघराले बाल ,रेड एंड  ब्लू स्ट्राइप्स
की फुल टी शर्ट और ब्लू जीन्स पहने हुए है अपने
पापा से बिछड़ गया है. उसके पापा यहाँ
इनफार्मेशन काउंटर पर हमारे पास ही हैं. अगर
सोनू हमारी आवाज़ सुन रहा हो तो प्लीज़ काउंटर
पर आ जाए.यदि किसी को भी वह बच्चा मिलता
है तो उसे ले कर सीधे इनफार्मेशन काउंटर पर आ
जाएँ ,सोनू के पिता बहुत परेशान हैं,

अनाउंसमेंट सुन कर अखिल ने मुग्धा की तरफ
देखते हुए बोला, "हद्द है यार लोग कैसे लापरवाह
हो जाते हैं छोटे बच्चे की तरफ से. मुझे तो उसका
डिस्क्रिप्शन सुन कर ही लग रहा है कितना प्यारा
बच्चा होगा.

मुग्धा ने कहा, "छूट गया होगा साथ ..भीड़ भी तो
बहुत है.
"चलो ! शर्ट फाइनल करते हैं और ध्यान से देखते
हैं. शायद हमें ही दिख जाए सोनू."

अखिल की चुनी हुई शर्ट्स में से 4 शर्ट फाइनल
कर के बिल पेमेंट करके अखिल और मुग्धा
शोरूम से बाहर  निकले ही थे कि अखिल सामने
से आते सोनू से टकरा गया. इस टकराने पर पहले
से सहमा हुआ सोनू और भी रुआंसा हो गया
..अखिल ने लपक कर उसे गोद में उठा लिया
..और न जाने क्या था अखिल के स्पर्श में जैसे
कोई गौरैया का नन्हा कोमल सा बच्चा गौरैया के
पंखों में छुप जाता है. सोनू अखिल के सीने में
दुबक गया था. अखिल ने उसे बाँहों में कस लिया
था.सोनू का खोया खोया चेहरा और सूनी आँखें
अखिल के स्नेहिल स्पर्श से पल भर को चमकी थ
और फिर जैसे बुझ गयी थी.

संवेदनशील मुग्धा का अंतर्मन इस दृश्य से भीग
उठा ..उसने सोनू के घुंघराले बालों में हाथ फिराते
हुए प्यार से कहा, "डरो नहीं बच्चा ! अभी चलते हैं
पापा के पास."

और सोनू सबसे बेखबर अखिल की गर्दन में बाहें
डालें उसके कंधे पर अपने गाल टिकाये किसी
ठंडी फुहार की शीतलता को महसूस कर रहा था
और अखिल उसके स्पंदन पा रहा था, मन भीग
गया था अखिल का भी ..इतना प्यारा बच्चा ..ये
तो डिस्क्रिप्शन से भी ज्यादा प्यारा है ..लेकिन
इतनी वीरानी इसकी आँखों में ..बाल सुलभ
चंचलता का तो नामोनिशान नहीं ....क्या माता
पिता  से कुछ देर बिछड़ जाने का इतना असर
हुआ है इस मासूम पर ..सोचते सोचते उसने मुग्धा
के साथ इनफार्मेशन काउंटर की तरफ कदम बढ़ा
दिए.

पूरे रास्ते सोनू कस के चिपका रहा अखिल के
सीने से जैसे न जाने कब से तरस रहा हो ऐसे
संरक्षण को. काउंटर पर पहुँच कर एनाउंसर से
अखिल ने सोनू के पिता के बारे में पूछा तो उसने
सामने खड़े एक व्यक्ति की तरफ इशारा किया.

मुग्धा और अखिल ने एक साथ मुड़  कर देखा
और मुग्धा आश्चर्य से लगभग चीख ही तो पड़ी,
"अरे राजुल ..तुम !!! सोनू तुम्हारा बेटा है ..!
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.क्रमश:

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