Monday, October 8, 2018

मुग्धा:एक बहती नदी (भाग -४)


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आखिरकार शनिवार का दिन भी आ गया और होटल हेरिटेज के पूलसाइड  रेस्तरां में मुग्धा के बैच के करीब २५-३० लोग इक्कठे हुए ..सब बहुत उत्साहित थे ..और एक दूसरे को देख  कर उनके पुराने रूपों को याद करते हुए वक्त की मार को महसूस कर रहे थे ..अधिकतर लड़कों की तोंद निकल आई थी कई के सर के बाल गायब हो गए थे .. और लडकियां भी अधिकतर गोलाकार सी हो गयी थी ..सबसे ज्यादा हैरानी तो मुग्धा को नमिता को देख कर  हुई.. बी.एससी. में उनके पूरे बैच की रोल मॉडल थी वह.. ५ फुट ६ इंच लंबी पतली दुबली नमिता  चेहरे पर आत्मविश्वास लिए जब क्लास में दाखिल होती थी तो दो चार मनचलों की सिस्कारियां  सुनाई पड़ ही जाती थी..मुग्धा को भी उसी ने टोक टोक कर उसके ढीले ढाले सूट्स  से मुक्ति दिलाई थी .. अच्छी फिटिंग के बिना बाँहों के कुर्ते अपने साथ टेलर के यहाँ ले जा कर बनवाए थे ..मुग्धा ना ना करती रही ..तो नमिता ने उसे घुड़क दिया था कि अभी नहीं पहनोगी तो क्या बुढ़ापे में पहनोगी ..छोटे कसबे की मुग्धा फैशन के नाम पर बिलकुल मूढ़ ही तो थी  ..और आज वही नमिता ..वृहदाकार शरीर को एक सिल्क की साड़ी  में लपेटे हुए कितनी कांतिहीन दिख रही है ..अपने मनोवैज्ञानिक पैशन के चलते मुग्धा बेसब्र हो उठी उसकी इस उदासी का राज़ जानने के लिए ..किन्तु न तो जगह और न ही समय था ये सब पूछने का ..

सबसे मिलती जुलती मुग्धा मोहित के पास पहुंची जो इस समय एक होस्ट की भूमिका निभा रहा था ..मुग्धा को पूर्ण एहसास था कि  जहाँ जहाँ से वह गुज़र रही है हर किसी की नज़रें जैसे उसी पर चिपक कर रह जा रही हैं.. शिफ़ान की साड़ी  में  संतुलित  शारीरिक सौष्ठव  मुग्धा के व्यक्तित्व को बेहद गरिमामय ढंग से व्यक्त कर रहा था .चेहरे पर हमेशा खिली रहने वाली मुस्कुराहट बहुत सकारात्मक स्पंदन प्रेषित कर रही थी ..मुग्धा महसूस कर रही थी कुछ इर्ष्यालू और कुछ प्रशंसात्मक निगाहें उसकी ओर उठती हुई ..और इसके साथ ही उसकी चाल में और भी आत्मविश्वास दृष्टिगोचर हो रहा था ..मोहित के करीब पहुंच कर उसने पूछा और कौन कौन  आना बाकी रह गया है अभी ?

मोहित ने कहा - राजुल को आना चाहिए था

मुग्धा ने पूछा -और ?

 मोहित ने कहा - अजय , सचिन ,साधना इन सबने भी कन्फर्म किया था ..

मुग्धा फिर मुड कर दोस्तों के बीच चली गयी  ढेरों बातें थी करने को .. जो खास दोस्त हुआ करते थे उनके २५ साल कैसे बीते जानना था ..कुछ चेहरे बस देखे हुए से थे और कुछ बिलकुल अजनबी ..मुग्धा का दायरा बस करीब दस लोगों तक सीमित था  ..अचानक उसके पीछे से किसी ने कहा - हाय मुग्धा ..!! मुग्धा ने पलट कर देखा तो अचानक से पहचान नहीं पायी ..जाना पहचाना सा चेहरा ..लेकिन कितना अजनबी भी .. और उसने  हिचकिचाते हुए कहा -'राजुल !! तुम ? '

राजुल बोला - थैंक गोड ! तुमने पहचान लिया ..मुझे तो लगा था भूल ही गयी होगी ..

मुग्धा ने मुस्कुराते हुए कहा - ऐसे कैसे भूल सकते हैं पुराने दोस्तों को ..

राजुल बोला - तुम बदली नहीं जरा भी ..

मुग्धा को लगा कि वह उसके व्यक्तित्व की बात कर रहा है..मुग्धा को एहसास था कि उस पर उम्र का प्रभाव बहुत नहीं दिखता है ..इसलिए उसने हलके से मुस्कुरा कर राजुल की इस बात का स्वागत किया

किन्तु राहुल ने आगे कहा - पहले जैसी फ्लर्ट थी आज भी वैसी ही हो  ..तुम्हारे पति तुम्हें टोकते नहीं ?

मुग्धा का चेहरा एकदम काला  पड़ गया ..और क्षणांश  में उसने जान लिया कि राजुल अभी भी वही कुंठित इंसान है ..बहुत कुछ जवाब दे सकती थी वह किन्तु इस तरह पब्लिकली बोलना उसके शिष्टाचार के खिलाफ था इसलिए चेहरे पर यथासंभव संयत मुस्कराहट लाते हुए उसने कहा - अच्छा तो है न ..वरना आज की दुनिया में तो इंसान पल पल बदलता रहता है ...तुम कैसे हो ? कहाँ हो ? और  मुग्धा ने बातों की  दिशा मोड़ दी ..




क्रमशः

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